ज़िद क्या होती है
ज़िद क्या होती है
हद क्या होती है, ये हद को अब तू समझा दे
ज़िद क्या होती है, ये ज़िद को अब तू बता दे।
खुद को हैरान करने का यही सही वक़्त है
बेचैनी खुद में छुपाने का नहीं अब वक़्त है।
अब और इंतज़ार करने का कोई मतलब नहीं
छू न सके जिसे तू, जहां में ऐसा कोई कद नहीं।
गर कद ही बढ़ाना है तो पहले अपने आप को जगा
ना किया हो किसी ने, ऐसा कोई काम करके दिखा।
पहले तो काम से नाम बनेगा, फिर नाम से काम चलेगा
काम से ही तू आगे बढ़ेगा, काम से ही तेरा काम चलेगा।
तलब क्या होती है, ये तलब को तू अब बता दे
तड़प क्या होती है, ये तड़प को तू अब समझा दे।
दुश्मन को हैरान करने का यही सही वक़्त है
अगन को मन में दबाने का नहीं अब वक़्त है।
अब और खुद से भागने का कोई मतलब नहीं
पा न सके जिसे तू, ऐसी तो कोई हसरत नहीं।।
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