मेरी तो लाइफ ही ओवर हो गई
मेरी तो लाइफ ही ओवर हो गई
ज़िन्दगी की कशमकश से परेशान होकर,
या अपनी चाहतों को हवा में छू देखकर,
कुछ लोग बात बात पर बोलते रहते हैं,
मेरी तो लाइफ ही ओवर हो गई।
क्या सच में रोज की छोटी २ परेशानियाँ,
या उनसे जूझने की इच्छा शक्ति ना होना,
अनायास ही कहने को मजबूर कर देते हैं,
मेरी तो लाइफ ही ओवर हो गई।
क्या ज़िन्दगी छोटी और मुश्किलें बड़ी हैं,
या मुश्किलें सहनशक्ति के बाहर खड़ी हैं,
जो इंसान निरीह प्राणी बन कह उठता है,
मेरी तो लाइफ ही ओवर हो गई।
ज्ञानी मानव जीवन को अनमोल बताते है,
और लाइफ ओवर वाले बेमोल समझते है,
कौन जाने, ऐसे लोग कह भी कैसे देते ,हैं
मेरी तो लाइफ ही ओवर हो गई।
ये ज़िन्दगी ख़ुशी और गम का किस्सा है,
मुश्किलें आगे बढ़ने की प्रक्रिया का हिस्सा है,
काश इन्हें अनदेखा कर इंसान कह पाता ,
आज तो मेरी लाइफ ही बन गई।