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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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दोस्ती

दोस्ती

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खुदगर्जी को दोस्ती का नाम न दीजिए।

 दोस्त पर मर मिटने वालों को

 यूं बदनाम न कीजिए।


 हमसे पूछिए क्या-क्या कुर्बानी दी है।

 हमसे ही दोस्ती की मिसाल लीजिए।


 हुनर झुकने में नहीं।

 समझने में चाहिए।


  हर चौखट सजदा करे।

  प्रकाश जीवन में चाहिए।


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