अम्मा
अम्मा
अम्मा तू ना होती तो, मैं ना होता ।
मेरे सपनो मे, ज़मीं और आसमाँ ना होता ।।
तूने ही मुझे इस दुनिया में लाया ।
तूने ही जीवन के पाठ पढ़ाया ।।
जब भी मैं बचपन मे गिरता ।
दौड़ कर तुम मेरे पास आती ।।
सब कुछ छोड़- छाड़ कर ।
सीने से तुम मुझे लगाती ।।
अम्माँ तू ऐसी है, तू कैसी है ।।।
बड़े घाव भी भर जाते ।
जब प्यार भरे तेरे हाथ लग जाते ।।
हर अपनी खुशियों को यूँ मार देती ।
जब मेरी खुशियां तेरे सामने आती ।।
न जानें तू किस दुःख से गुज़रती ।
पर उनको मुझ तक आने ना देती ।।
अपनी खुशियों को मार देती ।
मेरी खुशियों में चार-चाँद लगाती ।।
अम्माँ तू ऐसी है, तु कैसी है ।।।
जब भी मैं स्कूल जाता ।
हर वक़्त तेरा जी घबराता ।।
जब भी पिता जी मुझे डाँटते ।
तुम मेरा ढाल बन जाती ।।
जब बापू थप्पड़ मुझे मारते ।
दिल में चोट तेरे भी लगती ।।
बड़े प्यार से आँसू पोछती ।
लाड प्यार से गले लगाती ।।
अम्माँ तू ऐसी है, तू कैसी है ।
मैं बचपन से बड़ा हो गया ।
न जानें ये दौर कब शुरू हो गया ।।
तेरी बातें अनकहीं कर गया ।
जब लोगों के बातें सुनता गया ।।
पैसे कमाने के चक्कर में, तेरी अब याद न आती ।
उन पैसों का क्या करूँ जो तेरे अब किसी काम न आती।।
न याद किया ना वार्तालाप किया ।
बड़े शान से लोगों में , तेरा गुड़गान कीया ।।
कभी न सोचा, तू दूर मुझसे कैसी होगी ।
चकाचौंध की जीवन में , भूल गया गाँव में अब माँ कैसी होगी।।
अम्माँ तू ऐसी है, तू कैसी हैं ।
अम्माँ तू ऐसी है, तू कैसी है ।।