जल रहे है आँखों में ख्वाब,
जल रहे है आँखों में ख्वाब,
जल रहे हैं आँखों में ख्वाब,
धुंधला सा दीखता है आफताब
ये धुंध पड़ी है आत्मा पर ,
या जल गया आशियाँ ही रौशनी से आज।
चेहरा कितना ही सुन्दर हो
आ ही जाता है एक दिन निशाद
ये सफेदी रंगो की नहीं है
ये ज़िंदगी के हर बीते पहलूँ का है अपवाद।
जल रहे है आँखों में ख्वाब,
धुंधला सा दीखता है आफताब
मेरी सदियों से आँखों में उन्स है
उनकी आँखों में अब-ऐ-चश्म जलता दिन रात
ये ही ज़िंदगी की असली हक़ीक़त
ये ज़िंदगी का सिमटा और बिखरा जज्बात।
जल रहे हैं आँखों में ख्वाब,
धुंधला सा दीखता है आफताब।