माँ की शक्ति
माँ की शक्ति
परिस्थितियाँ परिभाषाएं बदल देती हैं,
और एक अलग सच परिभाषित होता है।
चार दीवारों से घिरी एक छत 'घर' नहीं होती,
'घर' एक माँ होती है,
दो बाँहें-चार दीवारों से अधिक सशक्त होती हैं,
छत में वो बात कहाँ, जो बात माँ के आँचल में होती है !
आंधी-तूफ़ान, क्या नहीं सह जाती है माँ,
एक-एक साँस मजबूत ईंट बन जाती है !
चार दीवारों का घर अपना न हो,
बनाये रिश्तों की यादें अपनी न हों,
माँ-एक सुरक्षित घर का एहसास देती है,
ममता के जादुई स्पर्श से
किराए का दर्द बाँट लेती है।