जीवनसार
जीवनसार
जीवन...जैसे
किसी नवजात
शिशु की किलकारी.
पहले संभलना,
फिर अपने
पैरों पर खड़ा होना!
किसी भी
बढ़े हुए हाथ की
उंगली थाम कर,
नित नए
लक्ष्य की ओर
नन्हे-कदम बढ़ाना!
निरर्थक शब्द,
चाँद-सितारों
को छूने का हठ;
अंतत: थक कर,
माँ की
गोद में सो रहना!