हां मैं खुद से करती हूँ प्यार
हां मैं खुद से करती हूँ प्यार
हर रोज सुबह अपनी बन्द पलकों को खोल,
दोनों हथेलियों को करके आगे ,
हाथों की लकीरों के देख ,
करती ये मंत्र सदा उच्चारण।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥
फिर करके धरती मां को नमन,
अपने ईष्ट देव का भी करती वंदन।
फिर जरा जाके आइने के आगे,
मीठी सी मुस्कान जगाके ,
पलभर लेती खुद को निहार,
फिर मिले ना मिले शायद,
दिनभर में खुद से मिलने का मौका दूजी बार।
बिन मौके, बिन तीज त्यौहार,
अपने आप को संवार भी लेती एकबार
फिर करती शुरुवात खुद ही खुद से कहकर बस
इतनी सी बात,यु आर द बेस्ट मेरे यार।
"यू आर द बेस्ट मेरे यार।"
हां में खुद से करती हूँ प्यार.... प्यार बेशुमार।