नारी से संसार है
नारी से संसार है
प्रकृति का रूप है नारी,
शक्ति का अवतार है।
सृजन का सोपान मनोहर,
सृष्टि का उपहार है।
वात्सल्य, उत्कृष्ट प्रेम की
ये मूरत अनमोल है।
कर्तव्यों की प्रेरणा,
संघर्षों का भूगोल है।
कलमधरों की काव्य प्रेयसी
धरती का श्रृंगार है।
रणचंडी, महाकाली, दुर्गा
अनगिन रूप है नारी के।
वीर लक्ष्मीबाई बन के,
खेले खेल कटारी के।
अबला मत जानो नारी को
नारी पैनी धार है।
अभियंता, अभिभाषक बन के,
अद्भुत कला दिखाती है।
नवयुग की सुशिक्षित नारी,
वायुयान उड़ाती है।
उन्नति पथ पर बढ़ने वाली,
साहस का आधार है।
शोषण, दमन, प्रवंचना का
पग-पग पर प्रतिकार करो।
बनो प्रबल विद्या बुद्धि में,
पुरुषार्थ से प्यार करो।
करो शौर्य का “दीप” प्रज्ज्वलित
नारी से संसार है।