ज़िन्दग़ी से वार्तालाप
ज़िन्दग़ी से वार्तालाप
कभी-कभी फूलों की तरह तू
महकती रहती है, ऐ ज़िन्दग़ी
कभी-कभी पंछीओं की तरह तू
चहकती रहती है, ऐ ज़िन्दग़ी
कभी-कभी शोलों की तरह तू
दहकती रहती है, ऐ ज़िन्दग़ी
समय की तरह पलपल तू
चलती रहती है, ऐ ज़िन्दग़ी
पानी की तरह खलखल तू
बहती रहती है, ऐ ज़िन्दग़ी
ना थकती है न रुकती है
तू चलती रहती है ऐ ज़िन्दग़ी