आरजू
आरजू
है आरजू नदी की तरह बहती रहूँ ।
मुस्कुराकर मंजिल की ओर बढ़ती रहूँ ।
हर आते रोड़े से अलविदा लेती रहूँ ।
किसी से न गिला न किसी से शिकवा रखूँ।
किसी को न कभी आहत करूं।।
है आरजू नदी की तरह बहती रहूँ ।
मुस्कुराकर मंजिल की ओर बढ़ती रहूँ ।
हर आते रोड़े से अलविदा लेती रहूँ ।
किसी से न गिला न किसी से शिकवा रखूँ।
किसी को न कभी आहत करूं।।