हर आते रोड़े से अलविदा लेती रहूँ । किसी से न गिला न किसी से शिकवा रखूँ। हर आते रोड़े से अलविदा लेती रहूँ । किसी से न गिला न किसी से शिकवा रखूँ।
कहाँ मिलेगा पता नहीं कौन मिलेगा पता नहीं कब मिलेगा चैन कब कटेगी रैन कहाँ मिलेगा पता नहीं कौन मिलेगा पता नहीं कब मिलेगा चैन कब कटेगी रैन
स्त्री-नदी के प्यार में... स्त्री-नदी के प्यार में...