दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं
दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं
जिन्दगी के सफ़र में
दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं
कुछ कदम साथ चलते और
फिर उमर भर के बन्धन में बन्ध जाते हैं
जिन्दगी के सफ़र में
दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं
एक अजीब सा एहसास होता है मन में
एक अजीब सी कशीश होती है आँखों में
जैसे कुछ पाने की ख़्वाहिश न बची हो जीवन में
साथ चलते चलते जिन्दगी के सफ़र में
दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं
बहुत कुछ कहना होता है दोनो को
पर कोई शब्द न होता दोनो के पास
बस आँखें ही बात करती है दोनो की
नजरों से बात करते करते जिन्दगी के सफ़र में
दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं
कुछ कदम साथ चलते और
फिर उमर भर के बन्धन में बन्ध जाते हैं
जिन्दगी के सफ़र में
दो अजनबी यूँही मिल जाते हैं