बढ़ती चल, बढ़ती चल
बढ़ती चल, बढ़ती चल
कभी माँ बनकर जन्म दिया,
कभी बहन बनकर राखी बाँधी,
कभी सुहागन बनकर घर बनाया,
कभी पुत्री बनकर गौरवान्वित करवाया।
तुझ में शक्तियाँ छुपी अपार,
स्वयं को पहचान और आगे बढ़,
ना कर गुमान कुछ छूट जाने की,
बस बढ़ती चल, बढ़ती चल।
नई राहें तेरा रास्ता तकती हैं,
तेरे आँचल में छिपी ख़ुशियाँ अपार,
सिर्फ़ आज नहीं हर रोज़ है तेरा,
बढ़ चल, बढ़ चल तुझसे ही बना ये संसार।