Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashmi Prabha

Abstract

3  

Rashmi Prabha

Abstract

मत करो नारी की व्याख्या

मत करो नारी की व्याख्या

1 min
349


मत करो नारी की व्याख्या,

वह अनन्त है,

विस्तार है,

गीता सार है ...


शिव की जटा माध्यम बनती है,

तब जाकर वह पृथ्वी पर उतरती है।

पाप का घड़ा भर जाए,

तो सिमट जाती है,

शनैः शनैः विलुप्त सी हो जाती है।


सावधान,

वह विलुप्त दिखाई देती है,

होती नहीं,

कब, किस शक्ल में

वह अवतरित होगी,


जब तक समझोगे,

विनाश मुँह खोले खड़ा होगा,

और तुम !


तब भी इसी प्रश्न में उलझे रहोगे,

ऐसा क्यों हुआ !

जवाब देने का साहस रखो

तो यह भी तय है कि


गंगा सदृश्य स्त्री

क्षमारूपिणी होगी,

मातृरूपेण होगी।


शांत भाव लिए

हो जाएगी-

अन्नपूर्णा, सरस्वती, लक्ष्मी

तुलसी बन घर-आँगन को,

सुवासित करेगी ...


दम्भयुक्त उसकी व्याख्या मत करो,

वह हाथ नहीं आएगी,

रहस्यमई सी,

ऋतुओं के रहस्य रंगों में घुल जाएगी,

तुम जब तक उसे पहचानोगे,

वह बदल जाएगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract