मेरी माँ
मेरी माँ
पीछे मुड़कर देखा तो...
माँ ने कहा,जल्दी लौटकर आना मेरे बेटे,
अश्कों से भरी थी आँखे उनकी
कहा पलभर रुक जा,तुम हमसे क्यों रुठे?
नज़रों से ही समझाया मैंने-
आज वतन की कसम निभानी है
वो भी तो है माँ मेरी,
पुकार सुन पहले उनकी
मुझे लड़कर बहादुरी दिखानी है...
कब आओगे लौटकर लाल मेरे
जरा नजरों में तुझे समा तो लूँ,
तुम भले लढ़ो उस माँ के लिए
तुम्हारे बचपन की यादें बता तो दूँ...
यादों की नींव पर चेहरा मेरा
मत याद करना मेरा बचपन,
अब बड़ा हो गया हूँ मैं माँ
अपने देश की मिट्टी की सौगंध...
उस माँ ने सीखाई भले ही तुझे वीरता
पर बड़ा तो मैंने किया है न!
कुछ हक मेरा भी बनता है
तू ऐसे मुझे छोड़कर न जा...
एक-एक कदम आगे बढ़ाया तो
माँ नज़रों से ओझल-सी हो गई,
कुछ दूर तक दौड़ी मेरे पीछे
जैसे मेरी जिंदगी ही कहीं खो गई...
पर खोने नहीं,कुछ पाने के लिए
सरहद तक जाना था मुझको,
एक माँ को दी कसम पूरी करके
फिर लौटकर आना था मुझको..
अब पीछे नहीं मैं मुड सकता
मुझे आगे बढ़ते जाना है,
देश की रक्षा करने हेतु
मुझे अपना वादा निभाना है....
इंतज़ार कर रही है मेरा
माँ चौखट पर खड़ी रहके,
और सरहद पर लढ़ रहा हूँ मैं
भारत माता की शान बनके....
गोलियों की बरसातों में भी था
चारों तरफ़ नारा जय हिंद का,
रग-रग में जज़्बाऔर तड़प
मुझे करनी है तेरी हिफ़ाजत माँ ...
गोलियों की बौछारों में भी
बेखौफ़ होकर हम लढ़ते रहें,
मिट्टी का तिलक लगाकर हम
जय हिंद कहकर आगे बढ़ते रहें...
लढ़ते-लढ़ते एक गोली लगी
सीना चीर के मेरे कलेजे में,
तब माँ का चेहरा याद आया
जो दौड़ी थीं धूप-पसीने में....
मुझे इस माँ को भी बचाना था
मुझे उस माँ को भी बताना था,
अमर हैं सदा तेरा बेटा
जिसे तुने सैनिक बनाया था...
ये जीवन तो एक सूर्य-सा है
जो डूबता है नए दिन के लिए,
आख़री साँसे मेरी यह कहती हैं
तुम भी सूर्य बनो जनम-जनम के लिए....
तुम भी सूर्य बनो जनम-जनम के लिए....
