सपना
सपना
तेरे ही सपनों में खोयी तुझको
हर तरफ ढूंढती रहती हूं
तेरा साथ नहीं मिलता तो
शर्म से मैं खुद ही शरमा जाती हूं।
हर समय तुझको सपनों में देखती
आहें भरती मुस्कुराती हूं
ना पड़ती प्रेम में तो अच्छा था
ऐसा मेरे दिल को समझाती हूं।
प्रियतम मैं यहां तुम वहां ऐसे
कितने दिन चलेगा
सपने देखकर सपनों में ही
कितने दिन मन बहलाऊंगी।
याद करती हूं तुम्हें तो
दिल को बहुत अच्छी लगती हूं
भाव विभोर होकर मैं
बादलों में उड़ती फिरती हूं।
आ जाओ तुम सामने मेरे
बहुत हो गया है यह बहाना
ना आवो तो ऐसा करो तुम
बंद कर दो मेरे सपनों में आना जाना।
सपनों में भी नहीं लगता
तुम ऐसा करोगे मेरे साथ में
लगता है मैं ना रही मेरी
अब तो तेरी ही हो गयी हूं।