वाकिफ़
वाकिफ़
शोक मनाने में उम्र बीती जा रही है
चेहरे पे झुरियाँ नज़र आ रही है।
कहने को महफ़िलें सजती है हर शब
रुठने मनाने में, छूट गया सब।
इश्क बेपरवाह दोस्ती सलामत रहे
तेरे जाने के बाद, दोस्तों का साथ रहे।
तेरा हर पल जीवन में रंग भर लाया था
भरे महफ़िल में कौन उठाने आया था।
ढूँढे जवाब सब का सब वाकिफ़ है
जो बारात में आये थे, वो जनाजे में शामिल है।