दर्द छलता नहीं
दर्द छलता नहीं
दर्द छलता नहीं,जाम छलता है,
तेरे याद में सारेआम छलता है।
लोग पूछते हैं,'क्या हुआ भाई?,
तेरे चेहरा कोई राज़ बताता है।
मदिरा अब मिलती है हरजगह,
बेदर्दी बालम नहीं मिलता है।
गहरी निगाहों बस दर्द होता है,
सुकून दिल को कहाँ मिलता है?
मुड़ते नहीं कदम तेरे गली में,
तेरी खबरें अब कौन देता है?
सोचता हू दर्द में डुब जाऊँ,
ऐसा जाम अब कहां मिलता है?
सारी रात बैचन तेरी याद में,
दिन का सूरज कहाँ दिखता है?
एक अरसा गुजरा याद में तेरी,
दूसरा जनम देखे, कब मिलता है।