STORYMIRROR

SURYAKANT MAJALKAR

Tragedy

4  

SURYAKANT MAJALKAR

Tragedy

दर्द छलता नहीं

दर्द छलता नहीं

1 min
226


दर्द छलता नहीं,जाम छलता है,

तेरे याद में सारेआम छलता है।

लोग पूछते हैं,'क्या हुआ भाई?,

तेरे चेहरा कोई राज़ बताता है।

मदिरा अब मिलती है हरजगह,

बेदर्दी बालम नहीं मिलता है।

गहरी निगाहों बस दर्द होता है,

सुकून दिल को कहाँ मिलता है?

मुड़ते नहीं कदम तेरे गली में,

तेरी खबरें अब कौन देता है?

सोचता हू दर्द में डुब जाऊँ,

ऐसा जाम अब कहां मिलता है?

सारी रात बैचन तेरी याद में,

दिन का सूरज कहाँ दिखता है?

एक अरसा गुजरा याद में तेरी,

दूसरा जनम देखे, कब मिलता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy