कन्या भ्रुण हत्या
कन्या भ्रुण हत्या
मत मारो कोख में मुझे,
मैं भी जीना चाहती हूँ माँ !
सपनो के सुंदर पंख लगा
मैं भी उड़ना चाहती हूँ माँ !
भाई को तुमने जन्म दिया,
क्यों मेरा जीवन हर लिया।
क्या ऐसा मैंने गुनाह किया,
जो गर्भ में मुझको मार दिया।
था मारा जब तुमने मुझको,
क्या दर्द नहीं हुआ तुमको।
अंश तुम्हारा ही मुझ में था,
क्या भान नहीं हुआ तुमको।
तुम जन्म अगर दे देती माँ,
मैं भी दुनिया में आ जाती।
देख तुम्हारा सुंदर मुखड़ा,
जीवन खुशियों से भर लेती।
मैं बनती तुम्हारी सच्ची सखी,
हर पल तुम्हारी रक्षा करती।
आती आँच कभी तुम पर माँ,
मैं आड़ बन खड़ी हो जाती।
तुमने क्यों अत्याचार किया ?
सिर अपने यह पाप लिया।
लेकर एक बेटी का जन्म,
क्यों तुमने यह वार किया।
बेटा-बेटी सब एक समान,
माँ होकर मत भेद करो।
हैं दोनों ही अंश तुम्हारा,
दुनिया को यह संदेश दो।