ख्वाजा
ख्वाजा
मेरे ख़ालीपन में, तू मुझ को भर आना
हर दीद को मेरी आसान बनाना
मेरे सपनों की खाली गिलास में, पूरे जाम से भरने आजा ना
धुँधली सी मेरी इन राहों में,कोई मंज़िल दिखलाना...
ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा,ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा
अली मौला मौला मौला मौला,मौला अली रे मौला
छिपा है कहाँ मिलना यहां,तुझमें मेरी हैं सच्चाइयाँ
झूठा है सब कुछ बाकी भरम है,सभी ऐसी ही हैं परछाइयाँ
ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा ख्वाजा मौला मौला
नफ़रतों की मेरी इस डोरी में,बार बार तू फूल बरसा दे
खुशबुओं से तू महका दे, जिस्मों को तू सजा
बहारों से तू बहका, रूह को राहत दिलाना..
ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा, ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा
अली मौला मौला मौला मौला,मौला अली रे मौला
कोई किसी का होगा न होगा, तेरा मगर है ये सारा जहां
बंदी है सब अपने करम के, तेरे दर पर ही मिटे है सारे गिला
खुद के अंधेरों में फंसा हूँ, ढूंढ कर निकालना तू
अपने ही गुनाहों में बंधा हूँ, मुझको रिहा कर देना तू
इन सिलसिलों के माया जाल में कहीं तो मैं हूँ छिपा
लम्हे दे नए, दे नयी उम्मीदें, पर हसीन वो वक़्त पुरानी भी दे दे
खुदको मुझसे दीदार करवा, मिटा दे तेरा मेरा फ़ासला
ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा,ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा
अली मौला मौला मौला मौला,मौला अली रे मौला
तू ही समय है, तू ही आसमान, कागज़ के फूल हम, तू है बाग़बान
तूने दिखलाया तो आयी नज़र, वर्ना अंधे हम नहीं कोई अपना शहर
मेरे आँसू जो ये शोले बने है,अग्नि का सागर इनको तू बनाना
मेरे ख़्वाबों के इस आशियाँ जहाँ मैं था रहता, इसको गिराके अपने महल में देना पनाह
बातों को मेरी तू हर जानता, इरादों को मेरी है पहचानता
मुझको कर दे तू फिर ज़िंदा, ले जा मेरे ये भला मंदा
देख ली मैंने बहुत दुनिया,अब मुझको जीना हैं...
ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा,ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा
अली मौला मौला मौला मौला,मौला अली रे मौला
तू नहीं तो क्या है मेरा, तुझे ही मेरी हैं जान कुरबान
तेरी कसम ही लकीर है,बाकी के सब कुछ तस्वीर है
तू ही धर्म है, तुझसे हर वफ़ा, अपने पीरों के काफिलों में दे दे जगह
ख्वाजा रे ख्वाजा रे ख्वाजा ख्वाजा मौला मौला