हम नौजवान
हम नौजवान
ऊंची है उड़ान हमारी,
बाजुओं में हैं दम,
पलते है आंखों में सपने,
नए ज़माने के हम।
चीरकर आसमा को हमने,
चाँद भी अपना लिया,
समुन्दर के सीने से भी,
तेल खींचकर ले लिया।
चट्टानों के पेट्स हमने
बनाये रास्ते,
रुक नहीं सकते हैं हम,
अब किसी के वास्ते।
बादलों को रोककर,
बरखा को भी पा लिया,
फिर उसी के पानी से,
बिजली को पैदा किया।
जंत्र मंत्र छोड़ के,
यन्त्र का नव-युग किया,
नव-युग के हम नवजवाँ,
हम से से है अब ये जहाँ।