छोड़ दे ऐ हसीना
छोड़ दे ऐ हसीना
माफ़ कर दे हसीना
तेरे एहसास को
तेरे ख़याल को
समझ ना पाया
असीम उस प्यार को
मैं जान ना पाया
ललचाई आँखें मेरी
पैसा पैसा करती रही
मदहोश उस लालसा में
ना दिन दिखा ना रात दिखी
ख़ंजर चलाए तुम पर
उठा फेंका इसी इमारत से
ख़ुदगर्ज़ क़ातिल सोनिया
तेरी जान का
तेरी पहचान का
गुनहगार हूँ तेरा
मैं गुनाहगार हूँ
सज़ा जो भी दे मंज़ूर होगी
मगर अभी माफ़ करना
मौत का दामन नहीं
ओढ़ पाउँगा
माँ का साया तो छीन लिया
उससे इस बाप ने
पिता का छूटा साथ
बेटा ना झेल पाएगा
उस बेटे के लिए
उसके दादा
उसके बाप को
छोड़ दे ऐ हसीना
हमें तू
छोड़ दे …..।।