होना क्या था ...
होना क्या था ...
नजर मिली, फूल खिले
दीप जले अरमानों के
होना क्या था
प्यार मोहब्बत का इजहार हुआ।
होना क्या था
जी भर के बाते हुई
उम्मीदों चट्टान खड़ी
साथ निभाने की बात हुई।
होना क्या था
सूर मिले, ताल मिले
दिल खिले
तेरे मेरे अरमान जगे।
होना क्या था
फिर मिले ,मिलते रहे
कब और कैसे
एक दूसरे के बने।
होना क्या था
हंसी ख़ुशी, दिन बिते
कसमें वादे
जिंदगी भर के सपने बुने।
होना क्या था
वो भी वक्त आया
जिसका हमें
बेसब्री से इंतजार था
होना क्या था
वही हुआ
फिर एक बार
हीर रांझा की नई कहानी।
होना क्या था दस्तूर पुराना
जो सदियों से होता आया
फिर एक बार दोहराया गया
प्यार के दुश्मन सक्रिय हुए।
होना क्या था
कसमें वादे, ढेर सारे सपने
एक ही झटके में पार हुये
दो दिवाने एक दूसरे से बिछड़ गये।