कदम बढ़ने लगे
कदम बढ़ने लगे
नायाब ये
रोशनी नयनों को लुभाये,
आ रही वो
चांदनी मन महकाये,
सुनहरी सुबह सी
अंधेरों में जकड़ी कभी,
फुलों सी ताज़गी हम में हैं कहीं,
कोरे कागज़ सी ज़िन्दगी
रंगों की शुरुआत हुई,
बेजान स्वप्न माटी में
आकार उमड़ने लगे
ज़ंजीरें खुलने लगी
कदम बढ़ने लगे
कदम मंज़िल की ओर
बढ़ने लगे...।