विठ्ठल सावळा
विठ्ठल सावळा
विठ्ठल सावळा। उभा विटेवरी।
चंद्रभागे तीरी। पांडुरंग॥
गोजिरे ते रुप। बघते मी डोळा।
येतसे उमाळा। अंतरात॥
राहो सदा मुखी। विठ्ठलची नाम।
हेची कर्म काम। सदाकाळ॥
उठता बसता। स्मरते तुजला।
तारण्या मजला। तुच देवा॥
कसे वर्णू गुण माझी अल्पमती
तव नाम चित्ती। ठेवीतसे॥
सावळ्या विठ्ठला। दाटे मनी खंत।
पाहू नको अंत। विनवीते॥
दिंडीत भासतो। मी तू चा अभाव।
समतेचा भाव। चोहीकडे॥
हेची दान दे गा। आले मी शरण।
दाखवा चरण। मजलागी॥
मनी एक आस। दिंडीत जाण्याची।
दर्शन घेण्याची। वैशालीची॥
