प्रवास परतीचा
प्रवास परतीचा
*वेळाची या वेळेलाय
आपली चित्रे बघावी
कधी मुलां नातवंडी
आयु प्रशिक्षक व्हावं*
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*परतीचा प्रवास हा
शांतीचा एक आढावा
पहाण्यात आनंद रें
झालं गेलं विरवावं*
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*बाद होऊन आता रें
नुसतं तु सांगावंस
जीवनाच्या आंदोळात
कसं कुठं सुख हाय*
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*ऐकलं तं चांगलंच
नाहीतही चांगलंच
पाठ मात्र प्रेमाचाच
सदैव ओठी ठेवावं*
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*प्रेमातंच अंत खरा
हर हुर्दय रडतो
जीवन आदर्श कसं
मनामधी नोंदवतो*
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*देव ध्यान करुनिया
दिवा शांतीचा उजळे
सुख समाधानी मन
जिणं प्रवास आनंदी*
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*तोचि निरोप आत्माचा
खरा देव सोजवळा
जगून जातो वेळेत
स्वतः निर्दोष मनानं*
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