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Yogita Mokde

Romance Fantasy

3  

Yogita Mokde

Romance Fantasy

मुकी

मुकी

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श्रान्त मनासी हवा विसावा, 

तप्त अवनीस मेघ दिसावा।

स्वर वेणूचा कर्णी पडावा,

मोरपीसातुन कान्हा हसावा।।


असली निव्वळ कल्पना जरी,

माजते खळबळ वादळापरी।

मुकेच शब्द गाते ओठांवरी,

एक शब्द एक चित्र श्रीहरी।।


वेडी हिनविते मजला जगती,

न मी मीरा, न राधा सखी।

लीन तुझिया चरणावर ती,

बोलक्या नयनी ओठी मुकी।।


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