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Mrs. Mangla Borkar

Abstract

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Mrs. Mangla Borkar

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मन

मन

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मन हे चंचल, मन हे निर्मल

याला लगाम न लागेल

हे जाई क्षितिजाच्या ही पद्याल |

मन हे चंचल, मन हे निर्मल

कधी तिमिराला घाबरेल

तर कधी प्रल्यालाही मत देईल |

मन हे चंचल, मन हे निर्मल

करते याला उदास विचारांची घालमेल

हे नसते कधीही दुर्बल

विचारच करतात यास घायल |


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