आनंद कुण्या मना
आनंद कुण्या मना
आनंद कुण्या मना
प्रेम करतं शोध
रूप विचार दम
ठेव बदल जिणं
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बितलं बालपण
गुत जिव्हाळ्याची
प्रेमबार मंद फेड
जिव जन्माची बंध
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करावं काही वाट
मन लागावं धन्य
कुतूहलानं बघावं
हर क्षण नवाचं
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हवा हवा हर्षाची
कधी राही किती
अखेर अंततः कळ
घ्यावं संतुष्ट जगून
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मिजाज मस्त वेळी
मूड बनवतें आस
शिकून सार खुलं
जिणं मरण छान
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