ज़िन्दगी चलने का नाम है
ज़िन्दगी चलने का नाम है
अपने बेटे को खो चुके स्वदेश और निर्मला से अपनी बहू विभा की स्थिति देखी नहीं जा रही थी।
विभा की ज़िन्दगी रुक गयी थी;उसने अपने आपको एक कमरे में बंद कर लिया था।
स्वदेश और निर्मला उसे एक दिन बड़ी मुश्किल से पार्क में लेकर गए।वहाँ स्वदेश ने किराये पर एक साइकिल ले ली।स्वदेश साइकिल चलाने लगे और विभा उन्हें देख रही थी।स्वदेशने साइकिल रोक दी और गिरने ही वाले थे कि ,"पापा ,साइकिल चलाते रहिये ;नहीं तो संतुलन बिगड़ जाएगा और गिर जाओगे। ",विभा बोल उठी।
"वही तो तुम्हें समझना है बेटा।ज़िन्दगी चलने का नाम है;जैसे ही रुकोगे संतुलन बिगड़ जाएगा।",निर्मला ने कहा।
विभा उनकी बातों का अर्थ समझ गयी थी।