ये प्यार है सहानभूति नहीं

ये प्यार है सहानभूति नहीं

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नही ये ग़लत है ,मैं ऐसा अपने सपने में भी नही सोच सकता, आखिर मैंने ऐसा सोचा ही कैसे, कैसे मेरी आत्मा इतनी मलिन हो गयी जो ऐसी भावना मेरे दिल में आई, उनके साथ मैं कभी ऐसी भावना नही सोच सकता,

मुझे आज भी याद है जब हमसब बहुत धूमधाम से उन्हें अपने साथ घर लाये थे, लाल जोड़े में सजी ,थोड़ी घबराई थोड़ी शरमाई, वो नाजुक सी वो घर में प्रवेश की ,सब बहुत खुश थे , और भैया का तो खुशी के मारे बुरा हाल था, बहुत प्यार था दोनों में, बहुत जल्दी उन्होंने सबके दिल में जगह बना ली, मुझसे तो अक्सर लड़ाई होती थी बीच मे भैया होते और हम दोनों बहस कर रहे होते, ऐसा लगता उनके साथ बचपन लौट आया, उनकी हँसी पूरे घर में हँसी बिखेर देती ,सबकी मुस्कुराहट की वजह होती थी वो, और जब नाराज होती तो सब उन्हें मनाने में लगते,

मम्मी पापा को तो हाथो में रखती थी, थोड़ा खाना बनाने में कच्ची थी,पर माँ से साथ पूरी सिद्दत से हाथ बटाती, धीरे धीरे सब बनाना सीख गई थी,

जब मैंने पहली बार उन्हें स्नेहा से मिलाया था, तो बहुत खुश हुई थी उससे मिलकर, एक बार में हाँ करदी थी , मुझे भी तसल्ली थी कि बस उन्होंने हाँ क रदी तो सबको मना लेंगी घर में,

1 महीने बाद शादी की पहली सालगिरह थी ,उससे पहले ही घर में खुशियां कदम रख चुकी थी ,पता चला वो माँ बनने वाली थी , सबको की खुशी दुगनी हो गयी थी, सबने सोचा शादी की पहली सालगिरह और ये खुशी बहुत धूमधाम से मनाएंगे

सब बहुत खुश थे और उनके तो पाँव जमीन पर नही थे, मुझे बोली जाओ बाजार से अच्छा सा गिफ़्ट ले आओ आपके भैया के लिए ,पूरी लिस्ट थमा दी थी हाथ मे,क्योंकि उन्हें तो कोई इस हाल में बाहर जाने देता नहीं

शाम को घर बिल्कुल दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था,नीले रंग सारी में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी,नीला रंग भाई का पसंदीदा था,

देखो ना 8 बज गए आपके भैया अभी तक नही आये,उन्हें फ़ोन करो

मैंने फ़ोन किया

हैलो भैया कहाँ रह गए आप आज तो जल्दी आ जाओ भाभी इंतज़ार कर रहे है

जी आप कौन बोल रहे है

मैं रंजीत हॉस्पिटल से बोल रहा हूँ इनका एक्सीडेंट हो गया है आप जल्दी आजाओ।

फ़ोन हाथ से छूट गया

क्या हुआ सब ठीक है ना

भाभी वो भैया का, भैया का,, हॉस्पिटल से फ़ोन

हॉस्पिटल क्या हुआ बताओ सब तरफ सन्नाटा माँ पापा के तो हाथ पैर फूल गए क्या हुआ ,,,

वो माँ भैया का एक्सीडेंट हो गया ,ये सुनकर भाभी वही बेहोश हो गयी हम सब उन्हें लेकर उसी हॉस्पिटल में पहुँचे , एक तरफ भाभी को एडमिट कराया दूसरी तरफ भैया,

डॉक्टर कुछ तो कहिये कैसी तबियत है भाई की वो कब तक ठीक हो जायेगा

देखिए अंदरूनी चोट है ,खून बहुत बह गया कुछ कह नही सकते,पर बहुत मुश्किल है उन्हें बचाना,

हमारी तो जैसे दुनिया ही खत्म हो गयी,

क्या करे किसे संम्भाले,

जल्दी चलिए आपको डॉ ने बुलाया है , हम दूसरी तरफ भागे भाभी बेहोश थी,

माफ कीजिये पर बच्चा हम नही बचा पाए ज्यादा टेंशन के कारण बच्चा बच नही पाया, ये अभी सदमें में है कल तक होश आया जाएगा।

आपको डॉ बुला रहे है ऑपरेटिव हो गया,

हम वहाँ भागे ,

डॉ क्या हुआ ऑपरेशन सही हो गया, भैया ठीक है ना,

आई एम सॉरी हम उन्हें बचा नही पाए,खून बहुत ज्यादा बह गया था,

पैरो तले जमीन नही थी ,समझ नही आ रहा था थोड़ी देर पहले घर दुल्हन की तरह सजा था और अब श्मशान बन गया था, दो दो अजीज परिवार के हिस्सों को हमने खो दिया था, भाभी को तो ये भी नहीं पता था कि भैया की आख़री निशानी भी अब इस दुनिया मे नहीं रही,

सूरज सूरज क्या हुआ तुझे,कहाँ खोया हुआ है,

कुछ नही माँ बीती यादों ने फिर घेर लिया,

आज 3 साल हो गए थे जैसे तैसे घर का माहौल सामान्य हुआ, भाभी ने अपने घर जाने का निर्णय नहीं लिया, वो आज भी भैया की यादों को समेटे थी, मैं उन्हें इस हाल में नहीं देख सकता, इसमें उनकी क्या गलती है,उन्हें क्यों सजा मिल रही है माँ ,क्या पूरी जिंदगी ऐसे ही बीता देंगी वो,मैं खुश नही हूँ, मेरा दिल मुझे कचोटता है,

मुझे पता ही नहीं चला कब मैं उन्हें अपना हिस्सा महसूस करने लगा उनकी हँसी में मुस्कुराता,और दुख में खुद भी डूब जाता,उन्हें खुश रखने के लिए पता नहीं क्या क्या करता ,शायद कुछ तो महसूस करने लगा था मैं उनके लिए तभी तो स्नेहा से मेरा रिश्ता टूट गया, क्या कबूल कर लूं की मैं उनसे प्यार करने लगा हूँ, क्या कहूं उन्हें की मुझसे शादी करलो, माँ पापा को कैसे समझाऊँगा। और उन्हें कैसे समझाऊँगा।

पर ये सच है मैं उनके बिना सब नहीं रह सकता।

आज दिवाली का दिन सब सजे धजे है और वो इतनी साधारण सी साड़ी में बैठी है, क्यों उनसे दुनिया ने सारा हक़ छीन लिया,

मैं आप सब से कुछ कहना चाहता हूँ , मैं शादी करना चाहता हूँ

सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी आखिर इतने सालों बाद घर मे कुछ अच्छा होने जा रहा था।

कौन है वो लड़की बेटा

माँ में इनसे शादी करना चाहता हूँ,

सबके चेहरे की हवाइयां उड़ गई थी,पर पापा के आँसू छलक गए, आज तूने मेरा सर फक्र से ऊंचा कर दिया, कब तू इतना बड़ा हो गया पता ही नही चला इतना समझदार हो गया,

पर मैं शादी नही करुँगी दोबारा, ये गलत है,

कुछ गलत नही है बेटा पूरी ज़िंदगी पड़ी है तेरे आगे,हम भी तुझे इस घर से कहीं जाने नहीं देना चाहते तो इसी घर की अमानत है और इसी घर मे रहेगी।

जैसे तैसे सबने मना लिया उन्हें शादी के लिए

और मेरी जिंदगी सफल हो गई ,तो ये थी मेरी प्रेम कहानी।


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