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Avinash Agnihotri

Inspirational Children

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Avinash Agnihotri

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ये नदियां

ये नदियां

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डुग्गु की गर्मियों की छुट्टियाँ होने के होने के कारण आज फिर हम नदी के उसी घाट पर थे। जहां पहले भी कई बार आ चुके थे। इसकी चिर शांति व आस पास का प्राकृतिक सौंदर्य मेरे लिये सदैव से आकर्षण का केंद्र रहा है। आड़ी टेढ़ी पथरीली राहों से जब जब भी इसे गुजरते देखती हूँ ।तो यूँ लगता है, मानो ये नदियां हमें जीवन की विकट परिस्थितियों में भी निरंतर चलने का सहज संकेत करती है। मैं अपने इन्हीं विचारों में कहीं खो सी गई थी कि डुग्गु के एक प्रश्न ने मेरी यह तंद्रा तोड़ी। वह बोला मम्मा अब देखो ये नदी हमसे दूर होती जा रही है। क्योंकि पहले जब भी हम इस घाट पर आते थे। तब यह हमें घाट की तीसरी चौथी पेढ़ी पर ही सहजता से मिल जाया करती थी। पर आज तो यह हमें घाट की नवी दसवीं पेढ़ी पर मिली है। इस पर मेरे पति ने तो उसे हर मौसम में नदी का जल स्तर अलग अलग होता है कहकर समझा दिया। पर मुझे यूँ लगा कि वाकई कल कारखानों के अनुचित दोहन, पेड़ो की बेतहाशा कटाई ओर नदियों पर हो रहे अतिक्रमण के कारण ये अब वास्तव में हमसे कहीं दूर होती जा रही है।



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