राकेश की बात सुन रत्ना आश्चर्य से अपने पति का मुँह देखने लगी। राकेश की बात सुन रत्ना आश्चर्य से अपने पति का मुँह देखने लगी।
वह अचंभित सी धीरे-धीरे आगे बढ़ी तो ऋषभ ने उसकी तरफ गुलाब बढ़ा दिया। वह अचंभित सी धीरे-धीरे आगे बढ़ी तो ऋषभ ने उसकी तरफ गुलाब बढ़ा दिया।
जीवन की विकट परिस्थितियों में भी निरंतर चलने का सहज संकेत करती है जीवन की विकट परिस्थितियों में भी निरंतर चलने का सहज संकेत करती है
मैं क्यों सारी रात ठंडक के इस महीने में बार-बार उठकर दूध गर्म करूँ मैं क्यों सारी रात ठंडक के इस महीने में बार-बार उठकर दूध गर्म करूँ