उसकी मुस्कान
उसकी मुस्कान


मैं सो कर उठती तो मेरे उठने के साथ-साथ वह भी उठ जाता। इक मीठी सी प्यारी सी मुस्कुराहट मेरी चेहरे पर बिखेर देता। मेरा मन खुशी से झूम उठता।और तो और अपने नन्हे नन्हे हाथों से, मेरे चेहरे को छूता। मैं न चाह कर भी हँँस पड़ती और उसके प्यारे से मुखड़े का चुम्बन ले लेती। प्यार से दुलारती , मेरा गुड्डा है मेरा कबूतर है। वह भी अपनी प्यारी भाषा में कुछ कहता, भले ही मैं उसके उन शब्दों को ना समझ पाती। पर उसके होठों का यू खुलना , उसकी आंखों मे वह खुशी, और तो और उसका रह-रहकर के चहक जाना। सब कुछ समझती हूँ मैं।
भला क्यूँ नही समझूंगी मैं पहली बार जब मेरी गोद में आया है, खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। लगा जैसे यशोदा के कन्हाई ने मेरे आंगन में किलकारी मारी है।
भाई सुबह शाम जब भी आता एक आध बार पूछ लेता कैसा है वह। मां उसके चिल्लाने से लेकर दूध पीने तक हर बात का वर्णन इतनी खुशी खुशी करती कि जैसे मेरे घर में एक खिलौना आ गया है।
कभी-कभी लगता मैं क्यों इतना परेशान रहूं मैं क्यों सारी रात ठंडक के इस महीने में बार-बार उठकर दूध गर्म करूँ फिर उसको पिलाउं, मैं क्यों करूँ यह सब। जिसका बच्चा है वह चैन से सोती है और मैं हूं कि सारी रात मर रही हूँ। मेरी सोचे पूरी होने से पहले ही उसको विराम लग जाता है। उसके रोने की थोड़ी सी आवाज़ मेरे कानों में आ जाती है। मैं उसे चुप कराने के साथ ही बिस्तर से जंप लगाती हूं और भागकर किचन में जाती हूं और जल्दी से जल्दी दूध लेकर वापिस आती हूं। वापस आने के साथ ही मेरी आवाज़ में मातृत्व झलकता रहता है। अरे मैं आ गयी मेरा बेटा चुप हो जाए, मेरा राजा चुप हो जाए।और वह सचमुच चुप हो जाता। मैं उसे अपने सीने से लगा कर फिर से सो जाती। अच्छे से ओढ़ा देती हूं कहीं उसे सर्दी ना लग जाए।
याद हैं मुझे जब इसकी मां बीमार थी, बल्कि यूं कह ले कि गम्भीर बीमार थी, यह छोटा सा शैतान पीस मेरे ही पास दुबका रहता। मेरे पास भी जैसे बहुत सारा काम बढ़ गया है। आजकल पढ़ना लिखना सब बंद हो गया है। सब कुछ इस बच्चे के सामने सब छोटा हो गया है, सब भूल गया है। और जब छोटी स्वस्थ होकर घर आ जाती है तो यह महराज सारी रात उसे इतना परेशान करते वह तो तौबा बोल जाती ।और कुल मिलाकर इन्हें मेरे पास ही सोना है। चाहे कुछ भी हो जाए। मां- पिता ही नहीं बल्कि मेरे भाई को भी यही लगता ,कि यदि कोई मेरे बच्चे की हिफाज़त कर सकता है तो वह सिर्फ मेरी बहन ही कर सकती है सिर्फ नीतू ही कर सकती है और कोई उसे इतने प्यार से उसकी देखभाल नहीं कर सकता, उसका ध्यान नहीं रख सकता ,उसके ऊपर मां की तरह इतना प्रेम नहीं लूटा सकता। शायद उन सब को यह लगता था कि मेरे वात्सल्य प्रेम के आगे उसकी मां का प्रेम भी छोटा है।
बच्चे की आवाज़ में फिर मेरी तंद्रा को भंग कर दिया। मैं गाती - यशोदा का नंदलाला जग का दुलारा है मेरे लाल से तो सारा जग उजियारा