Ruchika Rai

Romance

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Ruchika Rai

Romance

ये कैसा प्यार

ये कैसा प्यार

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फेसबुक पर एक ग्रुप में कमेंट के दौरान बातचीत हल्की फुल्की आरंभ हुई,उसके जबाब में जहाँ एक शरारतपन रहता था वही उसके पोस्ट्स में काफी गाम्भीर्य,जिंदगी की एक समझ।

जो स्नेहा को बहुत ही आकर्षित करता था,फिर उसने मैसेंजर पर बस हाल चाल जानने के लिए उसे मैसेज किया

",नमस्ते,कैसे हो" से बातें जो शुरू हुई कब घर परिवार देश समाज पर होने लगी।स्नेहा को उससे बात करना बहुत ही अच्छा लगता था एक सुकून सा एहसास होता था।और विवेक हाँ विवेक ही नाम था उसका बड़ी परवाह और ख्याल से स्नेहा से बात करता था।

स्नेहा अकेली लड़की थी,खुद से परेशान ,यूँ तो आस पास उसके बहुत से लोग थे जो उसका बहुत खयाल रखते थे,पर उम्र के इस दौड़ में जब सब अपने परिवार के साथ व्यस्त होते थे तो उसे अपना ये अकेलापन बहुत खटकता था,उसे लगता था काश कोई हो जो उसकी सुने ,उससे कहे।और विवेक ने उसकी जिंदगी में आकर यह कमी पूरी कर दी थी।

हालाँकि स्नेहा को पता था कि यह फेसबुक और वॉट्सएप्प एक मायावी दुनिया है,जहां की विश्वसनीयता पर हमेशा संदेह बना रहता है,पर फिर भी उसका बांवरा मन उस मायावी दुनिया के रिश्ते में ही खुश रहने लगा।

पहले बातचीत जान पहचान से शुरू हुई,फिर दोस्ती में बदल गयी और कब वह प्रेम करने लगी,उसे पता ही नही चला।अब स्नेहा की ऐसी आदत हो गयी कि बिना बात किये बिना चैट किये उसे सुकून ही नही मिलता,अजीब सी बेचैनी वह महसूस करती।

हालाँकि वह बहुत समझदार थी पर कहते हैं न जब दिल का मामला हो तो समझदारी काम नही आती शायद यही हाल स्नेहा का था।उधर विवेक भी यही कहता कि वह उससे बहुत प्रेम करता।

और शायद यह आज के युग के लिए अजीब लगे पर स्नेहा और विवेक एक दूसरे को बहुत प्रेम करने लगे,बिना किसी अपेक्षा के।

यह जानते हुए भी की वे दोनों एक दूसरे के कभी नही हो सकते,या फिर यूँ कह ले कि शायद कभी वे दोनों मिल भी न पाएं।


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