प्रदर्शन मात्र भ्रम
प्रदर्शन मात्र भ्रम
सरिता जी ने अपने बेटे की शादी एक पढ़े लिखे परिवार में की थी। लड़की भी पढ़ी लिखी थी।सरिता जी को अपने इकलौते बेटे की बहू को लेकर बड़े अरमान थे कि उसे बिल्कुल बेटी की तरह ही रखूँगी और समाज में सास बहू के रिश्ते की मिसाल कायम करूँगी।और ठीक वैसा कर भी रही थी।उनकी बहू रीना का व्यवहार भी उनके प्रति बहुत आत्मीय दिखता था।दिखता इसलिये की शादी के एक महीने बाद ही बेटे बहू अपने काम के लिए दिल्ली चले गए थे।चूँकि बेटे बहू दोनों पास नही रहते थे तो बस बहू से वीडियो कॉल से ही बातें होती और वीडियो कॉल पर बहू द्वारा जो परवाह फिक्र सम्मान दिखाया जाता उसे देखकर सरिता जी गदगद थी।क्योंकि उन्हें लगता जैसी बहू अपने लिए खोज रही थी और जैसी पत्नी अपने बेटे के लिए खोज रही रीना वैसी ही है।पर उन्हें वस्तुस्थिति का पता ही नही था।असली स्थिति का पता तब चला जब बेटे बहू के बीच आपसी तकरार को सुलझाने के लिए वह उनके पास गयीं।
यह रीना वीडियो कॉल वाली रीना से बिल्कुल अलग थी रूखा व्यवहार ,न आदर ,न सम्मान, न परस्पर प्रेम था।वह सरिता जी और उनके पति दोनों का लिहाज नही करती थी।उसके अंदर सिर्फ अकड़ थी,पढ़े लिखे होने का दम्भ था,नौकरीपेशा होने का अभिमान था।जिम्मेदारियों को बोझ समझकर बेवजह की बातों को तूल देकर उसने अपने शादीशुदा जीवन को नारकीय बना दिया था।खुशियाँ शिवम के जीवन से गुम हो गयी थी।
रीना क्रोध में सब लिहाज भूलकर गाली गलौज पर उतर आती थी।अब जाकर सरिता जी को एहसास हुआ कि आज तक रीना ने जो दिखाया वह मात्र प्रदर्शन था।भ्रम वाला प्रदर्शन।