टूटते रिश्ते
टूटते रिश्ते
मोहन घर का इकलौता बेटा था, पिछले ही वर्ष तो उसके मॉं बाप ने कितनी धूमधाम से शादी की थी। मोहन को पढ़ी लिखी ,आधुनिक दिखने वाली लड़की चाहिए थी और जब शगुन का रिश्ता आया तो मोहन के साथ घर वाले भी तैयार हो गए।
कोरोना अपने चरम पर था तो मिलना संभव नहीं था तो मोहन ने वीडियो कॉल पर बात कर ली। वीडियो कॉल पर बात के बाद मोहन शादी के लिए तैयार हो गया ।मोहन की खुशी में ही उसके परिवार के सभी लोगों की खुशी थी। तो ना नुकुर का प्रश्न ही नहीं था।
सगाई की तिथियां निर्धारित हुई, सभी लोग जोश खरोश से सगाई में शामिल हुए। शगुन का व्यवहार थोड़ा खटक रहा था मगर मोहन के घर वालों को यहाँ भी यही लगा कि मोहन और शगुन जब खुश हैं तो हमें क्या करना?
इसके बाद शादी भी हो गयी, शादी के बाद मोहन और शगुन चेन्नई चले गये।
पर धीरे धीरे एक दूसरे से मतभेद शुरू हो गए। अति महत्वाकांक्षी शगुन परिवार की जिम्मेदारी को उठाना नहीं चाहती थी उसे बार बार यही लगता शादी एक बंधन है।
मोहन सामंजस्य बिठाने की असफल कोशिश करता रहा और अंततः हार गया।
अब शगुन और मोहन साथ नहीं है। शगुन आना चाहती पर मोहन साथ रहना नहीं चाहता।
वह यही कहता कि रिश्ते में परस्पर प्रेम विश्वास का होना जरूरी है और जब यह ही नहीं रहे तो ऐसे रिश्ते का क्या मतलब?
पति पत्नी एक दूसरे के पूरक है प्रतिद्वंद्वी नहीं जब यह समझ न आये तो कोई भी पति पत्नी साथ नहीं रह सकते।