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Lokanath Rath

Tragedy Inspirational

2  

Lokanath Rath

Tragedy Inspirational

यादे .......................

यादे .......................

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राम कुमार आज सुबह सुबह थोड़ा जल्दी उठ गये थे। वो बाजार भी गए और कुछ गुलाबजाम और एक फूल के माला लेकर आये हैं। काल रात को घर में वो सबको बोल दिए थे की आज उनकी पत्नी स्वर्गीय सावित्री देवी की पुण्य तिथि है। पंडित जी भी सूबे १० बजे आने के लिए बोले है। राम कुमार देखे घड़ी में ८ बज गए है। उनका एक मात्र बेटा आलोक अभी चाय पी रहा है। उनकी बेटी अरुणा तैयार होकर आ चुकी है। किसी को दोबारा और बोलने को राम कुमार जी का हिम्मत नहीं हुआ। वो अपने कमरे में चले गए और अपनी पत्नी सावित्री देवी की तस्वीर को अपने हाथ में लेकर साफ़ करने लगे। तब बेटी अरुणा आकर बोली ,''पापा दीजिये मम्मी की तस्वीर को में साफ़ करूँगी। '' इतना कहकर वो उनके हाथ से तस्वीर लेकर चली गयी। राम कुमार सोफे के ऊपर बैठ गए और १५ साल पहले आज की दिन को याद करने लगे, जिस दिन उनकी पत्नी उनको छोड़ के चली गयी थी।

राम कुमार और सावित्री देवी के शादी को २१ साल हो गया था। दोनों बचे पढ़ रहे थे। आलोक इंजीनियरिंग पढ़ रहा था और अरुणा तब १२ वी कक्षा में थी। सावित्री देवी बहुत पूजा पाठ कटे थे। कभी कभी उनकी तबीयत खराब होने का बावजूद भी वो उपवास और व्रत रखा करते थे। राम कुमार जी उसके लिए बहुत उनको समझाया करते थे की पहले अपने शरीर को ठीक रखा करो और बाद में जितने पूजा पाठ, व्रत और उपवास रखना है फिर रखो। पर सावित्री देवी बहुत जिद्दी थी ,कभी भी राम कुमार जी के बात को सुनती नहीं थी पूजा पाठ के मामले में। १५ साल पहले उनकी तबीयत ठीक नहीं थी और वो किसी के बात नहीं सुनी, व्रत और उपवास रखने लगी। जिसके चलते उनकी दवाइयाँ भी बंद करने पड़ा। राम कुमार जी उनकी मन की थोड़ी शांति के लिए और उनकी शरीर का देखभाल करने के लिए उन्हें उनकी भाई के पास भेज दिये। वहां दो तीन दिन रहने के बाद उनकी तबीयत और बिगड़ गयी और उनके भाई उनको राम कुमार जी के पास ले आये। उस दिन सावित्री देवी को देख के राम कुमार बहुत घबरा गए थे। सावित्री देवी किसी को ठीक से पहचानते नहीं और उलटा सीधा बोलने लगे थे। उनकी ये हालत देख कर राम कुमार उनको तुरंत डाक्टर के पास लेकर गए और सबसे अच्छा हॉस्पिटल में उनको भर्ती किये। इलाज भी तुरंत शुरू हो गया। उनको सोने के लिए दवाइयां दिए गए। राम कुमार उनके पास बैठे रहे। आलोक भी आकर पहुँच गया था और उसका फाइनल परीक्षा के चलते वो वापस चला गया। रात को बेटी अरुणा आकर सावित्री देवी के पास बैठी और राम कुमार थोड़ा लेटने के लिए पास में पड़ा चौकी में बैठ कोशिश करने लगे। पर उनका मन बार बार बेचैन हो रहा था। सावित्री देवी को देख कर वो मन ही मन रो रहे थे। जो हर घड़ी कुछ ना कुछ बक बक करती रहती थी ,वो आज चुप चाप निस्तेज होकर पड़ी है। इसी सोच में राम कुमार डूबे हुए थे, तब एक अजीब सा आवाज सावित्री देवी की मुँह से निकला। राम कुमार तुरंत दौड़ के डाक्टर को बुलाने गए। डाक्टर आकर बहुत कोशिश किए पर सावित्री देवी चल बसी। राम कुमार को आज तक भी ठीक से उसका कारण पता चल नहीं पाया। अभी भी वो सोचते है की इलाज अगर ठीक ठाक चल रहा था, तो फिर उस रात को फिर कैसे वो चल बसी। आज उनकी पत्नी की १५वा बरसी है। आलोक को उसकी माँ की श्राद्ध देना है ,पर उसको कोई चिंता नहीं है। अब राम कुमार जी अपने घड़ी को देखे ,समय करीब १० बज रहा था। वो वहां से उठ के गए तो दरवाजा की घंटी बजने लगा। राम कुमार दरवाजा खोले और देखे पंडित जी सामने खड़े है। उनको अंदर आने के लिए बोल के राम कुमार जाकर देखे की उनकी बेटा आलोक टेलीफोन में किसी से बात कर रहा है। बहु सुनीता को पूछे तो वो बोली की कोई जरूरी बात कर रहा है और थोड़ा समय बाद वो नहा धोकर तैयार हो जायेगा। इधर पंडित जी बोल रहे है की उनको ११ बजे एक और जगा जाना है। तब राम कुमार पंडित जी को पूछे ,''पंडित जी क्या मैं सावित्री की श्राद्ध दे सकता हूँ ? शायद आलोक कुछ जरूरी काम में व्यस्त है। '' पंडित जी थोड़ा चुप रहे और बोले ,'' हाँ आप उनके पति है। आज के दिन उनको याद करने का है और भगवान के पास उनकी आत्मा की सद्गति के लिए प्रार्थना करनी है। आप जरूर कर सकते है। ''तब राम कुमार मुँह हाथ धोकर तुरंत आ गये और बहु सुनीता को बोल दिए की वो श्राद्ध दे रहे हैं और आलोक को बोल दे की चिंता करने की कोई बात नहीं। पहले वो उसका जरूरी काम निपटा ले। फिर राम कुमार बैठ गए। बेटी अरुणा भी वहां बैठी और पंडित जी मन्त्रों के सात शुरू किये। आँख बंद करके राम कुमार सावित्री देवी को याद किये और उनको सुबह लाये गए फूल की माला पहना दिए। करीब ११ बजे पूजा समाप्त हुआ और पंडित जी को प्रणाम करके सम्मान के साथ राम कुमार जाने दिए। तब भी आलोक तैयार नहीं हुआ था। अपने कमरे के अंदर जाते जाते राम कुमार उनकी बहु सुनीता को बोले ,''जब आलोक का काम निपट जायेगा उसको बोलना की एक बार उसकी मम्मी को याद करके थोड़ा प्रणाम कर लेगा। आज थोड़ा उसको याद करने से मन को बड़ा सुकून मिलेगा। इतना कहकर राम कुमार अपने कमरे में चले गए और बेटी अरुणा भी उसकी कमरे में चली गयी।



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