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Sangita Tripathi

Drama

2.5  

Sangita Tripathi

Drama

वो सात रंग

वो सात रंग

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माँ आसमान में देखो। बादलों ने भी पेंटिंग की,  देखो कितने सुन्दर रंग हैं, अवि चिल्लाता हुआ आया . इसे इंद्रधनुष कहते हैं बेटे, इसमें सात रंग होते हैं। मैंंने अवि को समझाया। बारिश के बाद खुले आसमां में एक खूबसूरत इंद्रधनुष निकल आया था, दिल को लुभाने वाला, जीवन को सरस बनाने के लिए, पिछले कुछ घंटो से लगातार बारिश हो रही थी आज जा कर आसमां खुला। लगातार बारिश से मन कुछ उबा हुआ था।

कुछ भूली बिसरी यादें मन के पटल पर दस्तक़ दे रही थी। 

अक्सर। कई साल पहले की वो काली गहरी आँखे, और ठुडी पर पड़े डिम्पल,  दिल के झरोखे में झाँक जाते हैं, हालांकि मैंने इन यादों को अपने दिल में मजबूती से बन्द कर दी हूँ फिर भी ये नटखट यादें पता नहीं किस रास्ते से अंदर आ ही जाती हैं, आकाश। जीवन के सफर में एक बेहद जरूरी चीज , अनंत और विस्तृत। सब को सहेजने वाला।रात की कालिमा जब घनी हो जाती तो तारों के प्रकाश से आसमां प्रकाशित हो जाता मेरा आकाश भी ऐसा ही था,

निहायत ही सीधा और भोला, सबकी मदद को आतुर, एक सरल इंसान, पढ़ते पढ़ते कब हम एक दूसरे को पसंद करने लगे, पता नहीं चला, ऐसे ही बारिश के बाद का दिन था जब आकाश ने मुझे प्रपोज़ किया था ऐसे ही आकाश में उस दिन भी एक इंद्रधनुष था वो भी साक्षी था हमारे प्यार का।

हम इंद्रधनुष के सात रंगों में खोये थे, पर यथार्थ के धरातल से टकरा हमारा प्यार तहस नहस हो गया। पापा का वो रौद्र रूप, याद कर आज भी डर कर कांप जाती हूँ। एक मामूली टीचर के लड़के की इतनी हिम्मत। पर मैं भी अड़ी रही, पापा का वो जोरदार तमाचा आज भी सिहरन पैदा कर देता।

आनन फानन में मेरी शादी एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले आनंद से हो गई, मैं तारा,  आकाश से बिछड़ एक दूसरी दुनिया में पंहुचा दी गई , किसी की पत्नी, बहू, भाभी आदि रिश्तों में विभक्त हो गई । अमीर गरीब की कहानी तो उपन्यासों और फिल्मों में पढ़ा और सुना था, पर पहली बार यथार्थ में देखा और सहन किया। 

मैं पापा को समझाती रही कि आकाश ने आई. ए . एस. का एग्जाम पास कर लिया उसका इंटरव्यू भी अच्छा हुआ हैं रिजल्ट आना बाकी हैं वो जरूर सेलेक्ट होगा, पर पापा मेरी कोई बात नहीं सुने , मेरी शादी के दो दिन बाद आकाश का रिजल्ट आ गया और वो सेलेक्ट हो गया। आँखों में आकाश कि सूरत बसाये मैं आनंद की पत्नी बन गई।

पता नहीं वो अब कहाँ होगा। 

पापा मुझसे नाराज ही रहे, मेरा प्यार करना उनकी नजरों में बहुत बड़ा गुनाह था। दादी के मना करने के बाद भी पापा ने मुझे पढाई करने दिल्ली भेजा, वो चाहते थे मैं पढ़ लिख कर आत्मनिर्भर बनू। मेरी एक बुआ थी जो दिखने में अद्वीतीय तो थी पढ़ने में भी अव्वल थी, पापा उन्हे बहुत प्यार करते थे, वो पापा से बहुत छोटी थी मुझसे आठ साल बड़ी थी,  उन्हे भी पापा ने बाहर भेजा था पढ़ने के लिए, पर उन्हे अपने साथ पढ़ने वाले साथी से प्यार हो गया और उन्हे पता था की घर में एक्सेप्ट नहीं होगा तो उन्होने भाग कर शादी कर ली।

उनकी पढाई बीच में छूट गई, हाँलाकि फूफा जी अच्छे रुतबे पर हैं, पर बुआ को भाग कर शादी करने की वजह से अपना मायका तो खोना पड़ा और उनकी ससुराल के लोग भी उन्हे एक्सेप्ट नहीं कर पाए और प्रताड़ित करते रहते , सुना हैं की फूफाजी भी अब कभी कभी अपना हाथ भी उन पर उठा देते हैं, पापा की ये कमजोर नस थी, जो बुआ सबकी आँखों का तारा थी, उनके एक गलत कदम ने उन्हे कहीं का नहीं छोडा, पापा को उनके बारे में सुन कर दुख होता हैं, पर कुछ बोलते नहीं। इसलिए उन्हे ये प्यार- व्यार समझ नहीं आता।

वो नहीं चाहते थे की इतिहास अपने को दोहराये, इसलिए मेरी शादी तुरंत कर दी गई।, जीवन के इंद्रधनुष के कितने रूप रंग हैं कहीं प्रकाश की उज्जवल किरणे तो कहीं रात की कालिमा, कहीं खुशियों के गुलाबी रंग तो कहीं गुस्से के लाल रंग, कहीं विस्तृत नीला रंग कहीं नारंगी सा सूर्योदय, कहीं पीली पड़ी आकांक्षाये। सब कुछ रंगों में निहित हैं। जीवन एक इंद्रधनुष से सज्जित हैं। खुले आकाश में।


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