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Savita Gupta

Inspirational

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Savita Gupta

Inspirational

वो मैसेज

वो मैसेज

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सुबह सो कर जब उठी तो मन अभी भी , कल के मैसेज पर ही अटका हुआ था ।लेकिन फिर एक बार सर को झटका मानो गंदे धूल भरे गुब्बार जो मन में अंकित हो गए थे ;उड़ा कर सब साफ़ कर दिया हो।गौरव मेरे बेटे ने जो ट्रैक सूट आन लाइन खरीद कर भिजवाया था पहन ली ।ट्रैक सूट की नरमी बिलकुल वैसी महसूस हुई मानो ‘गौरव मेरे बाँहों में हो।‘एकबार आइने में खुद को देखा सोचा चलो दोस्तों को दिखा आऊँ ।


कल की बात थी -जब मैं रोज़ की तरह ग्रीन टी की चुस्कियों के साथ अपना वाटसैप के मैसेज सारे पढ़ रहीथी ;तब “एक कहानी जो मेरी अपनी बहन नीलम ने भेजा था ,झकझोर कर रख दिया था ;कहानी में कहा गया था कि बुढ़ापे में सारे बच्चे,बेटा बेटी ,दामाद सब विदेश चले गये...बुढ़ापा कष्टदायक ..अकेलापन...अपनों के लिए तरसते...बीमारी ...लाचारी...मौत ...कंधे देने के लिए भी कोई नहीं आ पाए अपने ,पढ़कर मुझे अपनी कहानी लगी ,क्योंकि मेरे भी बच्चे विदेश में रहते है ।‘हमदोनों अकेले रहते हैं लखनऊ में ;सगेसंबंधियों के बीच ।पढ़कर ख़ूब रोयी थी ।नीलम पर ग़ुस्सा भी आ रहा था खुद उसका बेटा चाह कर भी नहीं जा सका था विदेश ;तो ऐसी कहानी भेजकर मज़े ले रही है।


नये दिन की शुरुआत सूर्य की तरह ऊर्जावान स्वर्ण रश्मियों के बीच प्रात: भ्रमण कर मैं तरोताज़ा हो चुकी थी ।घर आकर चाय की चुस्कियों के साथ सर्वप्रथम नीलम को वाटसैप से ब्लाक किया ।बच्चों को शुभरात्री का संदेश भेज काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी।




     


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