वो ज़िन्दा है
वो ज़िन्दा है
युग कहाँ जा रहा हैं बेटा रात के दस बज रहें हैं...??
मम्मी जल्दी आ जाऊँगा...बोलकर अपनी बाईक निकाली और ये गया वो गया...!!
रागिनी ने अजय को बोला...इतनी रात को बाईक से जा रहा है..आप कुछ कहते ही नहीं उसको...!!!!
जाने दो रागिनी बच्चों को ज्यादा टोका टाकी नहीं करनी चाहिये वो पसंद नहीं करते है...यही गया होगा पीछे कॉलोनी के मंदिर में गरबे देखने नवरात्रि चल रही है ना..!!
हाँ जब तक नहीं आता मुझे तो नींद नहीं आयेगी...!!
रागिनी मैं कमरे में जाता हूँ... तुम तो जाग ही रही हो...आज माही से बात हुई थी...??
हाँ हुई थी ना... उसे दिल्ली में अच्छा लग रहा है..!!
अजय कमरे में जाकर अभी लेटे ही थे कि...फोन की घंटी बज गयी...युग के दोस्त का फोन था कि...उसका एक्सीडेंट हो गया हैं.... वो समझ पाते इतने में रागिनी कमरे में आ गयी...किसका फोन हैं इतनी रात को...??
युग का एक्सीडेंट हो गया हैं...सुनते ही दोनों को सुध-बुध ही नहीं रही...रागिनी चिल्लाई... कहाँ हैं मेरा बेटा....??
इतने में दरवाजे पर घंटी बजी...राहुल था..अंकल..मैं आप दोनों को हॉस्पिटल ले जाता हूँ...!!
दोनों उसके साथ आ गये पर कैसा हैं ...कैसे हुआ पूछने की भी हिम्मत नहीं थी...बस उसे जल्दी ही देख
ना चाहतें थे...!!!!
जाते ही जब बेटे को देख रागिनी बेहोश हो गई... अजय ने हिम्मत रखते हुए डॉ० से पूछा...कैसा है मेरा बेटा..??
उसकी हालत बहुत खराब है दुआ कीजिये...!!अजय ने अपनी बेटी माही को बताया...उसने कहा ...पापा आप चिन्ता ना करें हम अभी निकल रहें है...!!!!
सुबह तक वो लोग आ गयें...माही भी युग को देखकर माँ के गले लगकर खूब रोई....!!
अजय व कुनाल(जवाँई) डॉ० के पास गये तो उन्होंने कहा कि...उसका ब्रेन डैड हो गया है...उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं है...आप चाहें तो उनके बॉडी पार्टस डोनेट कर सकते है...आपका बेटा बहुतों को ज़िन्दगी दे सकता है...पर आखिरी फैसला आपका होगा...!!!!
अजय ने कहा...अगर ऐसा है तो मैं दान करूँगा...बस एक बार अपनी वाईफ से बात कर लूँ...!!
अजय ने रागिनी को बताया तो वो बिफर पड़ी... मैं अपने बच्चे के साथ हरगिज़ ऐसा नहीं होने दूँगी...मेरा बेटा मुझे छोड़कर नहीं जा सकता...!!!!
अब माही ने समझाया कि....मम्मी आपका बेटा बहुतों को ज़िन्दगी दे जायेगा...प्लीज़ मान जाईयें ना...!!!!
रागिनी के मुँह से...ठीक है निकला और वो फिर बेहोश हो गयी...!!!!
आज युग को गये एक महीना हो गया था...रागिनी चुप हो गयी थी...माही भी अभी यही थी...कैसे जाती बेचारी...पापा-मम्मी को इस हाल में छोड़कर...सब गार्डन में बैठे चाय पी रहें थे तभी घंटी बजी...अजय ने दरवाजा खोला...तो सामने व्हील चेयर पर एक सत्ताईस-अठाईस बरस का नौजवान(शुभम)था..साथ में उसके पापा-मम्मी लग रहे थे...उसने थोड़ा झुककर उसे प्रणाम किया...और अंदर आने की आज्ञा माँगी...!!!!
आ जाइये....पर मैंने आपको पहचाना नहीं..!!
बात करते हुए वो उन्हें वही ले गया जहाँ वो बैठे हुए थे..!!!!
माही ने कहा कौन हैं ये पापा..??
नौजवान ने पहले रागिनी को भी झुककर प्रणाम किया....फिर बोला कि मैं आज अगर ज़िन्दा हूँ तो आपकी वजह से...आपके बेटे का दिल मेरे अंदर धड़क रहा है..उसके पापा-मम्मी भी उनके सामने झुक गये थे कि...हमारे बेटे को ज़िन्दगी का दान आपने दिया है हम आपका ये एहसान कभी नहीं चुका सकते हैं...!!!!
उनकी बात सुनकर वो तीनों जड़वत हो गये थे... समझ नहीं पा रहें थे कि क्या हुआ...??
शुभम ने कहा कि वैसे तो कहने से हो नहीं जाता है मैं आपके बेटा नहीं बन सकता..फिर भी जब भी जरूरत होगी मैं आपके साथ खड़ा रहूँगा और आपको मिलने भी जरूर आऊँगा...दीदी राखी पर आपके घर भी आऊँगा... मुझे राखी बाँधेंगी ना..!!!!
माही ने हाँ में सिर हिला दिया था ....सबके आँखों से आँसू गिर रहें थे...!!!!
मैं कभी मिला नहीं युग से फिर भी मुझे अपना सा लगता हैं... वो मरकर भी ज़िन्दा है...!!!!
अजय-रागिनी ने शुभम को गले से लगाया तो वो उन्हें पराया नहीं लगा....अपना सा लगा...!!!!
