जय जवान जय किसान
जय जवान जय किसान
जनवरी की उस शाम धारासार बरसात शुरू हो गई थी. वह नखशिख भीगा हुआ था और जंगल में पेड़ के नीचे खड़ा कांप रहा था, तभी जोर की बिजली कड़की और उसने देखा, उस पेड़ के ठीक पीछे एक मकान था..वो दरवाजे़ के सामने खड़ा सोच रहा था कि खटकाऊँ या नही..इतने में दरवाज़ा खुल गया देखा तो सामने साठ-पैंसठ के बुज़ुर्ग थे...!
वो बोले अंदर आ जाओ बेटा पूरी तरह भीग गये हो तुम्हें देखकर लगता है सेना के जवान हो..!!
जी अंकल मैं सेना में ही हूंँ। हमारी ड्यूटी पास ही में थी अचानक हमला हो गया मेरे साथी मुझसे बिछड़ गये ऊपर से ये बारिश तो यहाँ आ गया सुबह फिर से जाना होगा...आप यहाँ अकेले रहते है..!
हाँ बेटा मैं एक किसान हूँ और यहाँ फार्म हाऊस पर अकेला रहता हूँ ...हमारी-तुम्हारी ज़िन्दगी एक सी है हमें अकेले रहकर दूसरों के लिये जीना होता..तुम कपड़े बदल लो और कुछ खाकर आराम कर लो..!!
सुबह जब किसान उठा तो वो जवान वहाँ नही था...दिनचर्या से निपट कर जब टी.वी. पर न्यूज़ लगाई तो उसके होश उड़ गये..क्योंकि उस जवान के शहीद होने की खबर हर चैनेल पर था..!
किसान का सीना फख्र से चौड़ा हो गया था कि पहली व आखरी बार वो देश के शहीद जवान के लिये कुछ कर पाये थे..सैल्यूट कर उस अंजान को अंतिम विदाई दे दी...जय हिन्द !!
