सीख
सीख
आठ वर्ष की रिंकी रोते हुये घर में घुसी...रीता ने कहा....क्या हुआ...?????
रिंकी बोली मम्मा हम खेल रहे थे तो मैं जीत रही थी तो आशू ने मुझे चाँटा मारा और खेल से भी भगा दिया...!!!!
रीता ने उसे समझाया और कहा कि ऐसे डरकर हार जाओगी तो ज़िन्दगी में कभी आगे नही बढ़ सकोगी व जीत भी नही पाओगी....!!!!!
रिंकी डरते डरते वापस वही गयी जहाँ सब खेल रहे थे वो बोली....मुझे भी खेलना है....!!!!
आशू आगे आया व बोला अभी समझाया समझ नहीं आया क्या..????
सब समझ में आया अब तुम समझो की मुझे खेलना है....!!!!
आशू फिर तुनककर आगे आया तो अब रिंकी ने जोरदार चाँटा आशू को जड़ दिया....सभी अवाक रह गये...
अब रिंकी ऐसे घर में आयी जैसे कोई जंग जीत ली हो...उसे खुश देखकर रीता भी मंद-मंद मुस्कुरा रही थी...!!!!
रीता की यही सीख तब पूरी तरह से कारगर सिद्ध हुई जब रिंकी कॉलेज में आयी....एक बार वो जब घर आ रही थी तो उसकी सहेली का घर आ गया.....उसका घर यहाँ से आधा कि.मी. था तो वो पैदल आ रही थी कि दो लड़के उसका पीछा करने लगे व छेड़ने लगे रास्ता भी सुनसान था पहले तो वो डर गयी....
फिर उसे माँ की सिखायी सीख याद आई तो जब घर के पास पहुँच गयी तो उसने अपनी चप्पल उतारी और दोनों को जोर जोर से चिल्लाकर पीटने लगी शोर सुनकर सभी अपने घरों से बाहर आ गये....फिर तो उनकी जो पिटाई हुई कि बस पूछो मत....रिंकी के मम्मी-पापा भी शोर सुनकर बाहर आये तो...रिंकी ने बड़ी शान से पूरा किस्सा सुनाया व बोली मम्मा आपने जो बचपन में सीख दी थी आज उस सीख को अवार्ड मिला है.....!!!!!!
