मान
मान
सुबह सुबह पड़ोस में रहने वाली गुप्ता आन्टी आ गयी....स्नेहा ये लो प्रसाद...और उन्होंने एक डिब्बा मेरी तरफ बढ़ा दिया...!!!!
मैंने उत्सुकता से पूछा कहाँ का प्रसाद है तो वो बोली की जब उनके पोते का जन्म होने वाला था तो बहू की डिलीवरी में कॉम्प्लीकेशन हो गयी थी तो मैंने मान करी थी कि सब अच्छे से निपट जाये तो मैं उसके पाँच साल के होने पर मंच्छामन गणपति जी पर लड्डूओं से तुलवाऊँगी....!!!!
मैंने कहा फिर आपने मान के लड्डूओं का क्या किया...???
अपने रिश्तेदारों व पड़ोसियों में बाँट दिये...!!!!
स्नेहा ने आन्टी से कहा कि आप बुरा ना माने तो एक बात कहूँ...?
हाँ...बोलो ना बेटा...!!!
आन्टी अगर आप मान के लड्डूओं को इधर-उधर ना बाँटकर...किसी अनाथ आश्रम में या वृद्धाश्रम में बँटवा देती तो आपकी मान का मान बढ़ जाता....बच्चे को उनके दिल से निकली दुआएं भी मिल जाती.. !!!!
आन्टी हैरानी से स्नेहा का मुंह देखती रही फिर बोली....बेटा वैसे बात तो तुम्हारी सही है.....!!!!
