Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Prem Bajaj

Tragedy

4  

Prem Bajaj

Tragedy

विधवा

विधवा

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मम्मा , मम्मा , आप उस आँटी के जैसी ड्रेस क्यों नहीं पहनते, वो देखो ना वो वाली आँटी रियाँश की मम्मा , देखो वो आँटी उस ड्रेस में कितनी सुन्दर लग रही है ना, और वो देखो मम्मा वो प्रिती की मम्मा है ना , वो रेड साड़ी में कितनी अच्छी लग रही हैं ।

 ओफो. मम्मा आप देखते क्यों नही , वो देखो ना वो हरमन की मम्मा ग्रीन ड्रेस में अच्छी लग रही है ना ।

 सभी फ्रेंड्स की मम्मा कितने कलरफुल क्लोथ पहनती है, आप क्यो नही पहनते ऐसे , मम्मा आप तो बिँदी भी नहीं लगाते, और देखो ना मम्मा आप के लिप्स कैसे हो गए हैं , आप भी लिपस्टिक लगाया करो ना ।

मम्मा बताओ ना आप क्यों नही पहनते ऐसे कलरफुल कपड़े ? बस आप तो हर वक्त यही वाईट साड़ी ही पहनते हों । 

"व्हाईट साड़ी तो दादी पहनती है , जैसे अँकुश की दादी पहनती हैं।" 

"मम्मा अँकुश की दादी कितनी अच्छी है ना , मैं जब भी अँकुश के घर जाता हूँ ना खेलने, अँकुश की दादी हमें चाकलेट देती है , और कभी-कभी ना वो हमारे साथ लुडो भी खेलती है । मेरी दादी क्यो नही खेलती मेरे साथ , और ना ही कभी चाकलेट देती है ।'

आशीश स्कूल से पी. टी. एम.से लौटते हुए लगातार बोले जा रहा था, और अँजली ना जाने किन ख़्यालो में गुम थी ।आशीश ने झिँझोड़ा तो अँजली की तन्द्रा टूटी , 

"मम्म्म्मा , आप बोलते क्यो नहीं , अच्छा अब प्रोमिस करो नैक्सट पी.टी. एम. में जब आप आओगे ना तो ये साड़ी पहन कर नही आओगे ।" 

"अँ...हाँ बेटा क्या कहा , सारी बेटा मैनें सुना नहीं" , आशीश फिर से अपनी बात दोहराता है । लेकिन अँजली फिर से ख़्यालो मे खो जाती है , जैसे ही घर पहुँचते है तो रिक्शा वाला रिक्शा रोकता है ।

"बहनजी , यहीं रूकना है ना" , रिक्शा का ब्रेक लगते ही जैसे अँजली के ख़्यालो को भी ब्रेक लग जाता है , वो एकदम ऐसे जैसे सोते से जागी हो ।

" हां - हाँ भईया बस यहीं रोक दिजिए" , और रिक्शा वाले को पैसे देकर अन्दर आती है , आज बार-बार उसै शौर्य का ख्याल सताए जा रहा था । फिर से वो शौर्य के ख़्यालो मे खो गई । जब वो माँ बनने वाली थी , फैक्टरी से घर आते ही माँ ने बताया था , कि बहु के पाँव भारी है, 

"अरे ऐसे कैसे , ना किसी डाक्टर को दिखाया , ना कुछ , ऐसे कैसे पता चल सकता है ।"

"अरे पगले , मैने ये धूप मे सफेद नही किए, आज बहु को चक्कर आरहे थे और मितली भी हो रही थी ।

"अरे माँ वो तो कुछ खा लिया होगा उल्टा सीधा, इसलिए होगा । "

"लेकिन माँ कह रही थी , तो चलो कल डाक्टर को दिखा लेते है । "

अगले दिन सुबह ही तैयार होकर पहले डाक्टर के पास गए , डाक्टर ने चैकअप कर के बताया कि अँजली माँ बनने वाली है , शौर्य तो जैसे खुशी से पागल सा हो गया था , फूला नही समा रहा था , आज से ही उन्होने आने वाले बच्चे के लिए सपने सँजोने शुरू कर दिए थे । 

उन्होनें बच्चे का नाम भी यही सोचा था कि जो भी हो बेटा या बेटी वो हमारे प्यार की निशानी है तो हम उसका नाम भी अपने नामों से मिलता- जुलता रखेंग , अगर लड़की हुई तो अँजली का अ और शौर्य का श लेकर # आशा नाम रखेंगे और लड़का हुआ तो अ और श से # आशीश रखेंगे । 

 नहीं भूलती उसे वो मनहूस रात जिस रात उसका मन कुछ ठीक नहीं था , बार-बार जी भी तो मितला रहा था उसका , और ना जाने क्यों अजीब सी बैचेनी हो रही थी उसे , शौर्य जो हर पल उसके चेहरे पर मुस्कराहट देखना चाहता है । उसने देखा आज अँजली कुछ खोई-खोई सी है , चलो उसकी मनपसन्द चाट ले आता हूँ।  बासु की चाट देखकर तो उसके मुँह मे पानी आजाता था और बच्चों की तरह खुश हो जाती थी , उछल पड़ती थी ।

 शौर्य मोटरसाइकिल स्टार्ट करता है और चाट लेने के लिए चला जाता है अँजली को बिन बताए ।

भाग्य की विडम्बना शायद उसकी मौत वहाँ खड़ी उसी का इन्तज़ार कर रही है , रास्ते मे एक ट्रक उसे कुचलता हुआ निकलजाता है ।

थोड़ी ही देर मे शौर्य का पार्थिव शरीर घर आ जाता है ।। शौर्य को इस तरह देखकर अँजली तो बुत बन जाती है , और शौर्य की माँ - पिता ज़ोर -ज़ोर से दहाड़े मार-मार कर रोए जा रहे हैं ।शौर्य की माँ बार-बार अँजली को कोस रही है , अरी करम जली, खा गई मेरे बेटे को , क्या बिगाड़ा था मैंने तेरा , किस जन्म का बदला लिया तुने मुझसे , मेरे बुढ़ापे का सहारा ही छीन लिया तुमने , तेरे लिए चाट लेने गया था , ना जाता तो आज मेरा बेटा जिन्दा होता । तु औरत नही डायन है डायन , देखें तो एक भी आँसु नही तेरी आँखो में ।

आशीश अभी भी अपनी बात पर बोले जा रहा था.. "मम्मा , पहले प्रामिस करो कि नैकस्ट टाईम आप भी कलरफुल कपड़े पहन कर चलोगे स्कूल ।

नही बेटा मैं नहीं पहन सकती ऐसे कपड़े,  दादी को अच्छा नही लगेगा बेटा , और लोग क्या कहेंगे , नहीं , ऐसा नहीं हो सकता ।"

वो आशीश को प्यार से समझाने लगी ।

"मम्मा दादी को क्यों नहीं अच्छा लगेगा , दादी भी तो कलरफुल कपड़े पहनती हैं , और वो आप को डायन क्यो कहती है , आप तो सुन्दर परी जैसी हो , ये डायन क्या होता है ।"

 नही जानता एक मासूम बच्चा इन शब्दों का अर्थ । नहीं समझ सकता वो इन बातों को । क्यों होता है हमारे समाज मे ऐसा , क्यों किसी को किसी का मौत का ज़िम्मेदार ठहराया जाता है , ज़िन्दगी और मौत तो इश्वर के हाथों में होती है, फिर उसमे इन्सान दोषी कैसे ???

क्यों एक विधवा से उसके जीने का हक छीन लिया जाता है , क्यों उसे किसी शुभ काम में शरीक होने की मनाही होती है ,क्यों उसके लिए हर तरह की बँदिशे होती है ??

 क्या एक सुहागिन स्त्री ही रँगीन कपड़े पहन सकती है , विधवा नहीं , क्या विधवा औरत के कोई अरमान नही होते , क्या उसे अपने सपने पूरे करने का हक नहीं .क्या कभी कोई स्त्री विधवा होना चाहती है , कभी नहीं। !

 जब एक स्त्री की मृत्यु के बाद पुरूष दूसरा विवाह कर सकता है , एक आम ज़िन्दगी जी कसता है तो पुरुष की मृत्यु के बाद स्त्री क्यों नहीं एक आम ज़िन्दगी जी सकती ।

 क्या कोई स्त्री की मृत्यु के बाद पुरूष को कहता है कि बेटा तुमने मेरी बहु को मारा है , तुम मेरी बहु के हत्यारे हो , तो ऐसा व्यवहार स्त्री के साथ ही क्यों ??????    क्यों ??????   क्यों ??????

क्या आशीश जैसे बच्चों की बातों का है जवाब किसी के पास ??????



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