किशोर अवस्था कहीं बन जाए ना हौवा
किशोर अवस्था कहीं बन जाए ना हौवा
किशोर अवस्था -जीवन का सबसे नाजुक पडा़व, कभी बचपने से समझदारी की तरफ बढ़ती एक नादान बच्ची तो कभी शैतानियों से नादानियों की ओर बढ़ती एक किशोरी।
10 या 12 से 16 की उमर बड़ी ही खूबसूरत होती है मगर उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी। अनेकानेक शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं
कभी पढ़ाई में अव्वल आने का जुनून हावी होता है तो कभी विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण से मन के बदलने वाले भाव उसे गुदगुदाते हैं, नये नये सपने आंखों में सजने लगते हैं।
ऐसे वक्त में हर माता -पिता को चाहिए कि अपने बच्चे में हो रहे हर तरह के बदलाव को महसूस उनकी मनोभावना को समझें।
ऐसे समय में सलाह और सहयोग मिलने की अत्यंत आवश्यकता होती है। पर आज के आधुनिक युग में हर तरह के ज्ञान को अत्यंत सरलता पूर्वक एक स्मार्ट फोन से ही प्राप्त किया जाता है ।
इस उम्र में शरीर और मन में बहुत से परिवर्तन होते हैं l समझने की शक्ति में परिपक्वता और “मैं सही हूँ” वाली सोच अधिक हावी होती हैं l
जो सुनने से ज्यादा “अपने मन की करने में अधिक यकीन करता है, क्योंकि उसको लगता हैं बचपन से लेकर 10-12 साल की उम्र तक सबकी सुनी और मानी है । इस उम्र में एक किशोरी दुनिया को अपनी नज़र से देखती है , जिसमें अनुभव की कमी होती है।
*लेकिन हमारे समाज की सबसे विडंबना यह है कि परिवार में माता पिता बच्चों के साथ शारीरिक परिवर्तन और सेक्स जैसे टॉपिक पर खुलकर बात नहीं करते । हमारे समाज में ऐसे टॉपिक पर बात करना शर्मनाक समझा जाता है । इसलिए बच्चे अनुभव की कमी के चलते या तो किसी दोस्त, सखी, सहेली से बात करते हैं या इंटरनेट पर ढूंढते हैं लेकिन नेट पर कभी-कभी जानकारी ढूंढते हुए गलत दिशा में चले जाते हैं जिससे जीवन में कभी गलतियां भी हो जाती हैं*
एक दस साल की बच्ची इन सब बातों से अनजान होती है, लेकिन उस बच्ची की मां को उसकी चिंता सतानी शुरू हो जाती है। वो उसे ज्यादा देर तक घर से बाहर अपने से दूर नहीं रहने देती।
वो बच्ची कुछ समझ नहीं पाती कि मां उसे क्यों अब हर बात में टोकने- रोकने लगी है ।
उस बच्ची का कहना है कि , "मम्मा मुझे रात को लेट बाहर खेलने के लिए मना करती है , यह मुझे अच्छा नहीं लगता क्योंकि मेरा मन करता है मैं लेट रात को अपने दोस्तों तक खेलती रहूं, मुझे अपने फ्रेंड के साथ घूमना अच्छा लगता है।
ज़रूरी नहीं कि शारीरिक परिवर्तन 10 साल से ही आने शुरू हो जाएं हर इंसान का शारीरिक तापमान शारीरिक गतिविधियां शारीरिक बनावट अलग अलग होता है किसी बच्चे के शरीर बच्चे का शारीरिक बदलाव जल्दी शुरू हो जाता है और किसी का कुछ समय बाद ऐसे ही एक 11 साल की बच्ची जिसका जो शारीरिक परिवर्तन महसूस कर रही है उसकी मां ने उसे उस शारीरिक परिवर्तन के बारे में समझाया लेकिन उसका कहना है कि जब मैं छोटी थी पापा, दादू, चाचा या किसी अंकल की गोद में झट से बैठ जाती थी, लेकिन अब, जब से मेरी बॉडी में changes आए हैं , मेरे शरीर के अंग बढ़ रहे हैं जैसे कि चेस्ट का बढ़ना तबसे मम्मा मुझे किसी भी male person की गोदी में बैठने से, उनके ज्यादा नजदीक सोने से, मना करती है । जो मुझे अच्छा नहीं लगता। अब मैं पापा के साथ भी नहीं सो सकती।
लेकिन मम्मा ने मुझे गुड और बैड टच के बारे में बताया है इसका हमें ध्यान रखना है कि कोई हमें गलत तरीके से हमारे प्राइवेट पार्ट्स को ना टच करें।
आइए इसके बाद जानते हैं एक 16 साल की लड़की की सोच ।
जब मैं15 साल की एज में थी तो जैसे मेरे को अपनी फैमिली से दूर रहना पड़ रहा था Due to study।
मैं बहुत ज्यादा तुम्हारी familiar नहीं होती, मैं बहुत कोंशियश हो जाती थी हर सिचुएशन में, धीरे-धीरे करके मैं नार्मल होती गई। बाहर गई थी मेरे को कोई as such नॉलेज नहीं थी कि फैमिली के बिना कैसे रहा जाता है।
बॉडी में चेंज होने के बाद बिहेवियर में चेंज होना बहुत नॉर्मल चीज है
जैसे ब्रेस्ट का उभरना या योनि से स्त्राव का खुद-ब-खुद बहना, जो बहुत अनकंफरटेबल कर देता है, कुछ टाइम पर जैसे-जैसे बॉडी चेंज होते हैं लड़कियों में घबराहट सी महसूस होती है।
अजीब सी फीलिंग होती थी क्योंकि कई बार, कभी ऐसे होता है कि आप कहीं ऐसे किसी से बात कर रहे हो, या कुछ कर रहे हो, तो वह डिस्चार्ज हो जाता तो बहुत अजीब सी फीलिंग होती है, और फिर वाशरूम जाकर खुद को क्लीन करते हैं। क्योंकि वह बहुत बद
बूदार सा होता है, तो वह चीज भी बहुत अनकंफरटेबल कर देती है,
क्योंकि मुझे ऐसा फील हो रहा है कि मुझे मुझ से स्मेल आ रही है तो शायद किसी और को भी आ रही होगी ।
जब आपके ब्रेस्ट बढ़ती है बहुत अनकंफरटेबल सी लगती है क्योंकि बॉडी का बिल्कुल नक्शा चेंज हो जाता है, खुद पर बहुत ध्यान देना होता है, अपने कपड़ों पर बहुत ध्यान देना होता है, कि हमें किस टाइप के कपड़े पहनने हैं , ताकि हमें देखना वाला हमारी इन बदलाव को ना देख पाए।
उस चीज उसको अडॉप्ट करना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।
जैसे कुछ लड़कियां घर से बाहर रहती है, वो एक खुले एनवायरनमेंट में आ चुकी होती हैं जहां उनके ऊपर कोई नहीं बैठा था उनको देखने के लिए कि वह क्या कर रही है, क्या नहीं कर रही है। और उसमें बॉडी चेंज भी बहुत नॉर्मल चीज होती है, वो लड़कियां अपनी फ्रैंड्स से डिस्कस करती है।
जब कोई लड़की किसी अपनी ऐसी फ्रेंड से बात करती है कि जिसका बॉयफ्रेंड होता है, तो उसे भी यह लगता है कि मैं भी अब बड़ी हो रही हूं । अगर इसका बॉयफ्रेंड हो सकता है तो मेरा क्यों नहीं
वो बहुत अटेंशन सीकर सी बन जाती है , जैसे खुद की तरफ ज्यादा ध्यान देना, वेशभूषा इस तरह की रखना उनका बॉडी शेप नजर आए। इस समय लड़की इमोशनल बहुत वीक होती है ।
इमोशनल स्टेबिलिटी बहुत कम होती है इस चक्कर में बहुत लड़कियों का मिस यूज भी किया जाता है और जो अपने से बड़े जो लड़के होते हैं उन लोगों को लड़कों को पता होता है, कि यह जैसी है तो अर्थात हमें क्या करना चाहिए जो लड़की उनकी बातों में आ जाए।
जैसे कोई लड़का किसी लड़की को बोले कि मेरे पेरेंट्स इतने एस्टेबल नहीं है फाइनेंशली ,तो He says , I want some money । लड़की को ऐसे कन्वेंस करते हैं कि लड़की अपने घर से चोरी करके पैसे लाकर देती है और उसके बाद पैसे लेने के बाद लड़का गायब हो जाता है , ( अर्थात उसकी जिंदगी से चला जाता है) फिर कभी नज़र नहीं आता।
किसी लड़की का फिजिकल यूज करना फिर छोड़कर चले जाना। इस तरह से इस कच्ची उम्र में लड़कियों को अक्सर धोखा मिलता है बहुत जल्दी इंप्लीमेंट किया जाता है लड़की को ।
इसके बावजूद घर में बच्ची होती है तो उनकी बॉडी में जब चेंज होते हैं तो वह अजीब महसूस करती है ,
किसी से बात नहीं कर सकती ना माता-पिता से ना भाई से।
उसका उठने बैठने का ढंग चलने का ढंग सब बदल जाते हैं क्योंकि उसके शरीर में जो उभार आ रहा होता है जिसे ब्रेस्ट कहा जाता है तो उसे लेकर कॉन्शियस होती है । उसके कपड़े पहनने का ढंग भी बदल जाता है । जिससे वह अपने शरीर को छुपाना चाहती है । उसे लगता है कि कोई उसके उभारों को देखकर क्या सोचेगा, इसलिए वह उन्हें छुपाने की कोशिश करती है ।
तो दोस्तों,
पेरेंट्स को बच्चों को स्पेशली लड़कियों को इस चीज के बारे में जरूर अवेयर करना चाहिए । गुड टच एंड बैड टच के बारे में लड़कियों को जरूर अवेयर करना चाहिए, कि कौन-कौन से हमारे प्राइवेट पार्ट्स होते हैं अगर कोई इसको टच करें या कुछ करें तो आकर घर वालों को बताना है। और घर वालों को अपने बच्चों से इतना तो ओपन होना ही चाहिए कि वह घर आकर बता सके । उसको ऐसा ही ना हो कि घर आने जाने में बताऊंगी तो घरवाले कैसे रिएक्ट करेंगे ।
और एजुकेशन एक बहुत बड़ा शोर्स है समझाने के लिए, परिवार में और झिझक को त्याग कर सेक्स के बारे में भी बच्चों से खुलकर बात करें, उन्हें इस की अच्छाई-बुराई समझाएं।
आज की जनरेशन में यह जान चुकी है कि हर बच्चे को हर चीज के बारे में अवेयर किया जाना चाहिए ताकि अगर जैसे मैंने बताया कि यह मिस यूज बहुत होता है इस एज में लड़कियों का तो, अगर उस बच्ची को पहले से पता होगा कि उसका मिस यूज किया जा सकता तो वो सतर्क हो जाएगी।
शायद ये चीज कम हो सकती है उसमें दूसरी बात कि आपने देखा होगा कि इस एज में बच्चों का पढ़ाई में बिल्कुल मन उठ जाता है । स्टार्टिंग में ऐसे बहुत अच्छे चलते हैं लेकिन फिर उनका माइंड डायवर्ट हो जाता है।
ऐसे समय में बहुत ही समझदारी से काम लेना होता है, ऐसे समय में बच्चों का साथ देना, उन्हें हर बात खुलकर समझाना, उनके साथ फ्रैंडली होना। ताकि किशोर अवस्था हौवा ना बन जाए।
इन सब बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।