Prem Bajaj

Inspirational

3  

Prem Bajaj

Inspirational

फागुन का ख़ुमार

फागुन का ख़ुमार

1 min
261



जनवरी माह की बात है शर्मा जी के पड़ोस में वर्मा जी के घर अब्दुल करीम नए किराएदार आए, शर्मा जी वर्मा जी से नाराज़ कि ग़ैर बिरादरी को किराएदार क्यूं रखा।जब होली आई तो शर्मा जी अपने घर में ही बैठे सोच रहे इस बार तो वर्मा जी के साथ होली नहीं खेली पाएंगे क्योंकि उनसे ख़फा जो हैं, वैसे तो सबसे पहले वर्मा जी को ही रंग लगाते थे, इतने में वर्मा जी की आवाज़ आई, "अरे भाई शर्मा जी कहां हो होली पे गले नहीं मिलोगे ?"

शर्मा जी जैसे ही बाहर आए तो क्या देखा वर्मा जी के साथ अब्दुल करीम भाई भी रंग से पुते हुए बोले, "शर्मा जी होली मुबारक" और दोनों ने शर्मा जी को रंगों से सराबोर कर दिया।

और शर्मा जी ने सोचा," कि इस वक्त रंग में डूबकर हम सब एक से लग रहे हैं, ना जाने मुझे क्या हो गया था जो मैं जात-पात में पड़ गया"!और शर्मा जी पर उस होली का ऐसा ख़ुमार चढ़ा कि अब तक तीनों दोस्त हर त्योहार एक साथ ही मनाते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational