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Prem Bajaj

Inspirational

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Prem Bajaj

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पर्यावरण

पर्यावरण

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कितने प्यार से धरती पालती इन पेड़ों को,

काट देता इन्सान पल में इन्हें ना सोचता वो पल भर को।


प्रदूषण जो हम फैलाते हैं, ये पेड़ ही तो सब खपाते हैं,

प्लास्टिक ने जो ज़हर फैलाया है, उसी ने महामारी का रूप बनाया है।


पालिथिन ने भी तो इसी का रूप ही अपनाया है,

घर- घर पालिथिन और प्लास्टिक का बोलबाला है।


कभी कोई फेंक देता इन्हे नाली में, कभी कहीं सड़क पर फेंका जाता,

आते- जाते ग़र कोई पशु इसको खा जाता, बिमारी 

को वो पा जाता, ना ही पचता पेट में पशु के, ना मिट्टी में समाता है,

प्लास्टिक ऐसा ज़हर है जो धीरे-धीरे खाता है।

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ग़र इसको जलाओगे तो गंध भी इसकी ज़हरीली है, पेड़ भी तो 

हो रहे समाप्त है, ग़र होगा इतना प्रदूषण तो भला सांस कहां से ले पाओगे, 

इतना प्रदुषण के होते प्रयावरण कैसे बचाओगे ?


हों पालिथिन या प्लास्टिक के बर्तन सभी हानिकारक है,

फेफड़े और हृदय के रोगों ने धाक मनुष्य पर जमाई है,

ये सब बिमारियों का घर प्लास्टिक की कार्यवाही है,

 करो त्याग प्लास्टिक और पालिथिन का परित्याग करो तुम,


वायु चलेगी साफ़-सुथरी, प्रर्यावरण को बचाओ तुम।

जीवन में अपने और सबके ढेरों खुशियां भरो तुम,

तन्दुरुसती से भी गले मिलो तुम।


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