पर्यावरण बचाओ
पर्यावरण बचाओ
राहुल के घर में छोटा सा बगीचा था, अक्सर राहुल वहां खेला करता। पड़ोस के घर में कुछ दिन पहले ही शर्मा जी किराएदार आए थे, उनका बेटा समय राहुल से तीन साल बड़ा था, दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई और दोनों एक साथ खेला करते थे।
समय देखता है राहुल खेलते समय बहुत से फूल तोड़ कर फेंक देता, कभी पानी का नल चला कर छोड़ देना।
"राहुल तुम इन फूलों को ऐसे क्यों तोड़ कर खराब करते हो, कभी ऐसे पानी का नल खुला छोड़ देते हो, सोचो अगर पानी खत्म हो जाए तो हम कैसे जीऐंगे"??
"अरे समय पानी कैसे खत्म होगा, और फूल तो तोड़ने के लिए ही होते हैं"।
"नहीं, मेरे पापा कहते हैं, जैसे हम अपनी मां की संतान हैं, फूल भी तो प्रकृति की संतान हैं, हमें कोई मारे या सताए तो हमें तकलीफ होगी और हमारी मां को भी, इसी तरह इन्हें यूं तोड़ने से इन्हें भी तकलीफ़ होगी और प्रकृति को भी"!
"क्या सच में ???
" हां सच में, और अगर तुम ऐसे बेवजह पानी बहाते रहोगे तो पानी दूसरों के नलों तक केसे पहुंचेगा, और पानी के बिना कोई ज़िन्दा रह सकता है भला, तुम दो दिन पानी मत पियो फिर देखो तुम्हारा कैसा हाल होता है।
अगर हम प्रकृति ख़्याल नहीं रखेंगे तो हम प्रकृति से क्या उम्मीद करें कि प्रकृति हमें पाले, और प्रर्यावरण भी साफ एवं स्वच्छ होगा हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए।
और मेरे पापा ने बताया कि ये पेड़ हमारी छोड़ी हुई कार्बन-डाई-ऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और हमें स्वच्छ आक्सीजन देते हैं, इसलिए हमें पेड़ भी लगाने चाहिए"।
"यार समय तुने तो बहुत अच्छी बात बताई चलो आज हम एक - एक पेड़ लगाते हैं, और अब पानी भी बर्बाद नहीं करूंगा और फूलों को भी नहीं तोड़ुंगा"।
राहुल और समय दोनों ने अपने पिता से पौधे मंगाए और बगीचे में लगाए।
राहुल में ऐसा बदलाव आएगा ये उसके माता-पिता की उम्मीद से परे था।
